________________ उत्तराध्ययन : एक समीक्षात्मक अध्ययने . . . हो उठा। उसने कंकण उतार लेने को कहा। सभी रानियों ने सौभाग्य-चिन्ह स्वरूप एक-एक कंकण को छोड़ कर शेष सभी उतार दिए / ___ कुछ देर बाद राजा ने अपने मंत्री से पूछा-"कंकण का शब्द सुनाई क्यों नहीं दे . रहा है ?" मंत्री ने कहा-"स्वामिन् ! कंकणों के घर्षण का शब्द आपको अप्रिय लगा था, इसलिए सभी रानियों ने एक-एक कंकण रख कर शेष सभी उतार दिए। एक कंकण से घर्षण नहीं होता और घर्षण के बिना शब्द कहाँ से उठे ?" राजा नमि प्रबुद्ध हो गया। उसने सोचा सुख अकेलेपन में है-जहाँ द्वन्द्व है-दो हैं-वहाँ दुःख है / विरक्त-भाव से वह आगे बढ़ा। उसने प्रवजित होने का दृढ़ संकल्प . किया। जब राजर्षि नमि अभिनिष्क्रमण कर रहा था, प्रव्रजित हो रहा था, उस समय मिथिला में सब जगह कोलाहल होने लगा। उत्तम प्रव्रज्या-स्थान के लिए उद्यत हुए राजर्षि से देवेन्द्र ने ब्राह्मण के रूप में आ कर इस प्रकार कहा "हे राजर्षि ! आज मिथिला के प्रासादों और गृहों में कोलाहल से परिपूर्ण दारुण शब्द क्यों सुनाई दे रहे हैं ?" ___ यह अर्थ सुन कर हेतु और कारण से प्रेरित हुए नमि राजर्षि ने देवेन्द्र से इस प्रकार कहा "मिथिला में एक चैत्य-वृक्ष था, शीतल छाया वाला, मनोरम, पत्र-पुष्प और फलों से लदा हुआ और बहुत पक्षियों के लिए सदा उपकारी। ___ "एक दिन हवा चली और उस चैत्य-वृक्ष को उखाड़ कर फेंक दिया। हे ब्राह्मण ! उसके आश्रित रहने वाले ये पक्षी दुःखी, अशरण और पीड़ित हो कर आक्रन्द कर रहे हैं।" ____ इस अर्थ को सुन कर हेतु और कारण से प्रेरित हुऐ देवेन्द्र ने नमि राजर्षि से इस प्रकार कहा "यह अग्नि है और यह वायु है / यह आपका मन्दिर जल रहा है / भगवन् ! आप अपने रनिवास की ओर क्यों नहीं देखते ?" यह अर्थ सुन कर हेतु और कारण से प्रेरित हुए नमि राजर्षि ने देवेन्द्र से इस प्रकार कहा "वे हम लोग, जिनके पास अपना कुछ भी नहीं है, सुखपूर्वक रहते और सुख से जीते है। मिथिला जल रही है, उसमें मेरा कुछ भी नहीं जल रहा है। ___ "पुत्र और स्त्रियों से मुक्त तथा व्यवसाय से निवृत्त भिक्षु के लिए कोई वस्तु प्रिय भी नहीं होती और अप्रिय भी नहीं होती। ___सब बन्धनों से मुक्त 'मैं अकेला हूँ, मेरा कोई नहीं है', इस प्रकार एकत्वदर्शी, गृहत्यागी एवं तपस्वी भिक्षु को विपुल सुख होता है।"