________________ खण्ड 2, प्रकरण : 1 . कथानक संक्रमण 287 मुक्त कर दिया / चक्रवर्ती दोनों मुनियों के पैरों पर गिर पड़ा। रानी सुनन्दा भी साथ थी। उसने भी वन्दना की। अकस्मात् ही उसके केश मुनि सम्भूत के पैरों को छू गए / मुनि सम्भूत को अपूर्व आनन्द का अनुभव हुआ। उसने निदान करने का विचार किया। मुनि चित्र ने ज्ञान-शक्ति से यह जान लिया और निदान न करने की शिक्षा दी, पर सब व्यर्थ / मुनि सम्भूत ने निदान किया-'यदि मेरी तपस्या का फल है तो मैं चक्रवर्ती बन।' ... दोनों मुनियों का अनशन चालू था। वे मर कर सौधर्म देवलोक में देव बने / वहाँ का आयुष्य पूरा कर चित्र का जीव पुरिमताल नगर में एक इभ्य सेठ का पुत्र बना और सम्भूत का जीव काम्पिल्यपुर में ब्रह्म राजा की रानी चुलनी के गर्भ में आया। रानी ने चौदह महास्वप्न देखे / बालक का जन्म हुआ / उसका नाम ब्रह्मदत्त रखा गया। ... राजा ब्रह्म के चार मित्र थे—(१) काशी देश का अधिपति कटक, (2) गजपुर का राजा कणेरदत्त, (3) कोशल देश का राजा दीर्घ और (4) चम्पा का अधिपति पुष्पचूल। राजा ब्रह्म का इनके साथ अगाध प्रेम था। वे सभी एक-एक वर्ष एक-एक के राज्य में रहते थे। एक बार वे सब राजा ब्रह्म के राज्य में समुदित हो रहे थे। उन्हीं दिनों की बात है, एक दिन राजा ब्रह्म को असह्य मस्तक-वेदना उत्पन्न हुई। स्थिति चिन्ताजनक बन गई / राजा ब्रह्म ने अपने पुत्र ब्रह्मदत्त को चारों मित्रों को सौंपते हुए कहा- "इसका राज्य तुम्हें चलाना है।" मित्रों ने स्वीकार किया। . कुछ काल बाद राजा ब्रह्म को मृत्यु हो गई / मित्रों ने उसका अन्त्येष्टि-कर्म किया। उस समय कुमार ब्रह्मदत्त छोटी अवस्था में था। चारों मित्रों ने विचार-विमर्श कर कोशल देश के राजा दीर्घ को राज्य का सारा भार सौंपा और बाद में सब अपने-अपने राज्य की ओर चले गए। राजा दीर्घ राज्य की व्यवस्था करने लगा। सर्वत्र उसका प्रवेश होने लगा। रानी चुलनी के साथ उसका प्रेम-बन्धन गाढ़ होता गया। दोनों निःसकोच विषय-वासना का सेवन करने लगे। __रानी के इस दुश्चरण को जान कर राजा ब्रह्म का विश्वस्त मंत्री धनु चिन्ताग्रस्त हो * गया। उसने सोचा-'जो व्यक्ति अधम आचरण में फँसा हुआ है, वह भला कुमार ब्रह्मदत्त का क्या हित साध सकेगा?' उसने रानी चुलनी और राजा दीर्घ के अवैध सम्बन्ध की बात अपने पुत्र वरधनु के द्वारा कुमार तक पहुंचाई / कुमार को यह बात बहुत बुरी लगी। उसने एक उपाय ढूँढ़ा / एक कौवे और एक कोकिल को पिंजरे में बन्द कर अन्तःपुर में ले गया और रानी चुलनी को सुनाते हुए कहा-"जो कोई भी अनुचित सम्बन्ध जोड़ेगा, उसे मैं इसी प्रकार पिंजरे में डाल दूंगा।" राजा दीर्घ ने यह बात सुनी। उसने चुलनी से कहा- "कुमार ने हमारा सम्बन्ध जान लिया है। मुझे कौवा और तुम्हें कोयल मान संकेत दिया है। अब हमें