________________ 250 (2) नील उत्तराध्ययन : एक समीक्षात्मक अध्ययन (5) स्थान (1) कृष्ण- अरख्या (2) नील - (3) कापोत-- (4) तेजस- " (5) पद्म (6) शुक्ल- " (6) स्थितिलेश्या श्वेताम्बर दिगम्बर जघन्य उत्कृष्ट जघन्य उत्कृष्ट (1) कृष्ण अन्तर्मुहुर्त 33 सागर और एक मुहुर्त अन्तर्मुइत 33 सागर पल्योपम के असंख्यातव भाग अधिक दस सागर " - 17 सागर (3) कापोत " पल्पोपम के असंख्यातवें भाग अधिक तीन सागर 7 सागर (4) तेजस् // पल्योपम के असंख्यातवें भाग अधिक दो सागर 2 सागर (5) पद्म " अन्तर्मुइत अधिक दस सागर " 18 सागर (6) शुक्ल " अन्तर्मुइत्तं अधिक 33 सागर " 33 सागर (10) गति (1) कृष्ण- दुर्गतिः / (2) नील(३) कापोत(४) तेजस्- सुगति५ (5) पद्म (6) शुक्ल- , १-उत्तराध्ययन, 34 / 33 / २-बहो, 34 / 34-39 / ३-तत्वार्थ राजवातिक, पृ० 241 / ४-उतराध्ययन, 34 // 56 / ५-वही, 34 // 57 /