________________ 158 उत्तराध्ययन : एक समीक्षात्मक अध्ययन पूर्ण मात्रा बत्तीस ग्रास और स्त्री के आहार की पूर्ण मात्रा अट्ठाइस ग्रास है।' ग्रास का परिमाण मुर्गी के अण्डे 2 अथवा हजार चावल जितना बतलाया गया है। ___ इसका तात्पर्य यह है कि जितनी भूख हो, उससे एक कवल तक कम खाना भी अवमौदर्य है। __ निद्रा-विजय, समाधि, स्वाध्याय, परम संयम और इन्द्रिय-विजय-ये अवमौदर्य के फल हैं। क्रोध, मान, माया, लोभ, कलह आदि को कम करना भी अवमौदयं है / " (3) भिक्षाचरी (वृत्ति-संक्षेप) यह बाह्य-तप का तीसरा प्रकार है। इसका दूसरा नाम 'वृत्ति-संक्षेप या 'वृत्तिपरिसंख्यान' है / इसका अर्थ है 'विविध प्रकार के अभिग्रहों के द्वारा भिक्षा वृत्ति को संक्षिप्त करना / (4) रस-परित्याग उत्तराध्ययन में रस-परित्याग का अर्थ है--- (1) दूध, दही, घी आदि का त्याग / (2) प्रणीत --स्निग्ध पान-भोजन का त्याग / ' १-मूलाराधना, 3 / 211 / २-औपपातिक, सूत्र 16 / ३-मूलाराधना, दर्पण, पृ० 427 : ग्रासोश्रा वि सहस्रतंदुल मितः / ४-मूलाराधना, अमितगति 211 / ५-औपपातिक, सूत्र 19 / ६-समवायांग, समवाय 6 // ७-मूलाराधना, 3 / 2 / 7 / ८-देखिए-उत्तराध्ययन, 30 / 25 का टिप्पण। ९-उत्तराध्ययन 30 / 26 /