________________ 138 उत्तराध्ययन : एक समीक्षात्मक अध्ययन भावनाएं हैं। धर्म और शुक्ल ध्यान की चार-चार अनुप्रेक्षाएँ हैं / 2 वे मिलित रूप में पाठ भावनाएं हैं। ये दोनों आगमकालीन वर्गीकरण हैं। तत्त्वार्थ सूत्र में बारह भावनाओं का एक वर्गीकरण' और दूसरा वर्गीकरण चार भावनाओं का प्राप्त होता है।४ ___ इन दोनों वर्गीकरणों की सोलह भावनाएँ प्रकीर्ण रूप में आगमों में मिलती हैं, किन्तु इनका वर्गीकृत रूप उत्तरकाल में ही हुआ। __महाव्रतों की भावनाएं उनकी स्थिरता के लिए हैं। प्रत्येक महाव्रत की पाँच-पाँच भावनाएं हैं। अहिंसा-महाव्रत (1) ईर्यासमिति / (2) मन-परिज्ञा। (3) वचन-परिज्ञा। ... - (4) आदान-निक्षेप समिति। (5) आलोकित-पान-भोजन / सत्य-महात्रत (1) अनुवीचि-भाषण। त्याख्यान / (3) लोभ-प्रत्याख्यान। (4) अभय (भय-प्रत्याख्यान)। (5) हास्य-प्रत्याख्यान / अचौर्य-महाव्रत . (1) अनुवीचि-मितावग्रह-याचन / . (2) अनुज्ञापित पान-भोजन / (3) अवग्रह का अवधारण / (4) अतिमात्र और प्रणीत पान-भोजन का वर्जन / (5) स्त्री आदि से संसक्त शयनासन का वर्जन / १-उत्तराध्ययन, 31117 / २-स्थानांग, 4 / 12247 / ३-तत्त्वार्थ, 97 / ४-वही, 76 / ५-तत्त्वार्थ, 7 / 3: तत्स्थैर्यार्थ भावनाः पंच पंच। ६-आचारांग, 2 // 3 // 15 // 402 /