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________________ 104 उत्तराध्ययन : एक समीक्षात्मक अध्ययन हुआ था। ई० स० 686 में राजा आदिसूर ने नैतिक धर्म के प्रचार के लिए पाँच ब्राह्मण निमन्त्रित किए थे। ___ भगवान् महावीर के सातवें पट्टधर श्री श्रुतकेवली भद्रबाहु पौण्ड्वर्धन (उत्तरी बंगाल) के प्रमुख नगर कोट्टपुर के सोमशर्म पुरोहित के पुत्र थे / उनके शिष्य स्थविर गोदास से गोदास-गण का प्रवर्तन हुआ। उसको चार शाखाएँ थीं (1) तामलित्तिया। (2) कोडिवरिसिया। (3) पुंडवद्धणिया ( पोंडवद्धणिया)। (4) दासीखब्बडिया / तामलित्तिया का सम्बन्ध बंगाल की मुख्य राजधानी ताम्रलिप्ती से है। कोडिवरिसिया का सम्बन्ध राढ की राजधानी कोटिवर्ष से है। पोंडवद्धणिया का सम्बन्ध पौंड-उत्तरी बंगाल से है। दासी खब्वडिया का सम्बन्ध खरवट से है। इन चारों बंगाली शाखाओं से बंगाल में जैन-धर्म के सार्वजनिक प्रसार की सम्यक जानकारी मिलती है। ___ शान्तिनिकेतन के उपकुलपति आचार्य क्षितिमोहन सेन ने 'बंगाल और जैन-धर्म' शीर्षक लेख में लिखा है- "भारतवर्ष के उत्तर-पूर्व प्रदेशों अर्थात् अंग, बंग, कलिंग, मगध, काकट (मिथिला) आदि में वैदिक-धर्म का प्रभाव कम तथा तीर्थिक प्रभाव अधिक था / फलतः श्रुति, स्मृति आदि शास्त्रों में यह प्रदेश निंदा के पात्र के रूप में उल्लिखित था / इसी प्रकार उस प्रदेश में तीर्थ यात्रा करने से प्रायश्चित्त करना पड़ता था। ___ श्रुति और स्मृति के शासन से बाहर पड़ जाने के कारण इस पूर्वी अंचल में प्रेम, मंत्री और स्वाधीन चिन्ता के लिए बहुत अवकाश प्राप्त हो गया था। इसी देश में महावीर, बुद्ध, आजीदक धर्म गुरु इत्यादि अनेक महापुरुषों ने जन्म लिया और इसी प्रदेश में जैन, बौद्ध प्रभृति अनेक महान् धर्मों का उदय तथा विकास हुआ। जैन और बौद्ध-धर्म १-बंगला भाषार इतिहास, पृ०२७: आसीत् पुरा महाराज, आदिशूरः प्रतापवान् / आनीतवान् द्विजान् पंच, पंचगोत्रसमुद्भवान् // २-भद्रबाहु चरित्र, 1122.48 / / ३-पट्टावली समुच्चय, प्रथम भाग, पृ० 3,4 / थेरेहिन्तो गोढासेहिंतो कासवगुत्तेहिंतो इत्थं णं गोदासगणे नामं गणे निगए, तस्स णं इमाओ चत्तारी साहाओ एवमाहिजंति, तंजहा-तामलित्तिया 1, कोडिवरिसिया 2, पुंडवद्धणिया (पोंडवद्धणिया) 3, दासीखब्बडिया 4 /
SR No.004302
Book TitleUttaradhyayan Ek Samikshatmak Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Nathmalmuni
PublisherJain Shwetambar Terapanthi Mahasabha
Publication Year1968
Total Pages544
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size8 MB
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