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________________ 12 दशवैकालिक : एक समीक्षात्मक अध्ययन का निमित्त बनेगा, इसलिए इसका विच्छेद न किया जाय / / इस निर्णय के पश्चात् दशवैकालिक का वर्तमान रूप अध्ययन-क्रम में जोड़ा गया। महानिशीथ ( अध्ययन 5, दुःषमारक प्रकरण ) के अनुसार पाँचवें आरे ( दुःषमकाल ) के अन्त में जब अंग-साहित्य विच्छिन्न हो जाएगा, तब दुष्पसह मुनि केवल दशवकालिक के आधार पर संयम की आराधना करेंगे। १-दश० हारिभद्रीय टीका, पत्र 284 : आणंदअंसुपायं कासी सिज्जंभवा तहिं थेरा। जसभहस्स य पुच्छा कहणा अविआलणा संघे // 371 // "विचारणा संघ" इति शय्यम्भवेनाल्पायुषमेनमवेत्य मयेदं शास्त्रं नियुढे किमत्र युक्तमिति निवेदिते विचारणा संघे—कालह्रासदोषात् प्रभूतसत्त्वानामिदमेवोपकारकमतस्तिष्ठत्वेतदित्येवंभूता स्थापना।
SR No.004301
Book TitleDashvaikalik Ek Samikshatmak Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Nathmalmuni
PublisherJain Shwetambar Terapanthi Mahasabha
Publication Year1967
Total Pages294
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size16 MB
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