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________________ ok दशवकालिक : एक समीक्षात्मक अध्ययन प्रथम और द्वितीय वर्गीकरण में आगम का उल्लेख नहीं है। तृतीय वर्गीकरण में उसका परोक्ष के एक प्रकार के रूप में उल्लेख हुआ है। द्वितीय वर्गीकरण की व्यवस्था हुई तब पाँच ज्ञानों को दो भागों में विभक्त किया गया—मति और श्रुत—परोक्ष' तथा अवधि, मनःपर्याय और केवल प्रत्यक्ष / 2 तृतीय वर्गीकरण पूर्णतः न्यायशास्त्रीय था, इसलिए उसमें ज्ञान का विभाजन विशुद्ध प्रमाण-मीमांसा की दृष्टि से किया गया। किन्तु उसका आधार वही प्राचीन वर्गीकरण था। तृतीय वर्गीकरण के परोक्ष का प्रथम वर्गीकरण में समवतार किया जाय तो स्मृति, प्रत्यभिज्ञा, तर्क और अनुमान-मतिज्ञान में तथा आगम-श्रुत-ज्ञान में समवतरित होता है। इस प्रकार तीनों वर्गीकरणों में प्रकारभेद होने पर भी तात्पर्य-भेद नहीं है / प्रथम दो वर्गीकरणों और तृतीय वर्गीकरण से भी यह स्पष्ट फलित होता है कि आगम श्रुत काही विशिष्ट या उत्तरकालीन रूप है। श्रुत का अर्थ है-शब्द से होने वाला ज्ञान। आगम का अर्थ भी यही है। इस समानता के आधार पर ही श्रुत और आगम को एकार्थवाची कहा गया।४ किन्तु श्रुत और आगम सर्वथा एकार्थवाची नहीं हैं। श्रुत एक सामान्य और व्यापक शब्द है। आगम का अपना विशिष्ट अर्थ है / भगवती, स्थानांग और व्यवहार सूत्र में पाँच प्रकार के व्यवहार बतलाए गए हैं५-. (1) आगम, (2) श्रुत, (3) आज्ञा, (4) धारणा और (5) जीत। इनमें पहला आगम और दूसरा श्रुत है। केवलज्ञानी, मनःपर्यायज्ञानी, अवधिज्ञानी, चतुर्दशपूर्वी और दशपूर्वी को आगम कहा गया है। इनमें प्रथम तीन प्रत्यक्षज्ञानी और अंतिम दो १-नंदी, सूत्र 24 : परोक्खनाणं दुविहं पन्नत्तं, तंजहा—आभिणिबोहियनाण-परोक्खं च, सुयनाण परोक्खं च। २-वही, सूत्र 5: नोइं दिय-पञ्चक्खं तिविहं पण्णत्तं, तंजहा—ओहिनाण-पच्चक्खं, मणपज्जवनाण पञ्चक्खं, केवलनाण-पच्चक्खं / ३-तत्त्वार्थ सूत्र, 1113 : मतिः स्मृतिः संज्ञा चिन्ताऽभिनिबोध इत्यनर्थान्तरम् / ४-अनुयोगद्वार, सूत्र 51 / ५-(क) भगवती 88 / 339 : पंचविहे ववहारे पन्नत्ते, तंजहा—आगमे, सुए, आणा, धारणा, जीए / (ख) स्थानांग, 5 / 2 / 421 / (ग) व्यवहार 10 / 3 /
SR No.004301
Book TitleDashvaikalik Ek Samikshatmak Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Nathmalmuni
PublisherJain Shwetambar Terapanthi Mahasabha
Publication Year1967
Total Pages294
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size16 MB
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