________________ १-जैन आगम और दशवैकालिक आगम की परिभाषा : ज्ञान के अनेक वर्गीकरण मिलते हैं। वे समय-समय पर हुए हैं। उनमें से तीन प्रमुख इस प्रकार हैं 1. प्रथम वर्गीकरण के अनुसार ज्ञान के पाँच प्रकार हैं-(१) मति, (2) श्रुत, (3) अवधि, (4) मनःपर्याय और (5) केवल / ' यह प्राचीनतम ( ई० पू० 5-6 शताब्दी ) प्रतीत होता है। . 2. प्रमाण की मीमांसा प्रारम्भ हुई तब ( ई० 5 शताब्दी ) ज्ञान का दूसरा वर्गीकरण हुआ। उसके अनुसार ज्ञान के दो प्रकार हैं-(१) प्रत्यक्ष और (2) परोक्ष / 3. न्यायशास्त्र के विकास काल ( ई० 7-8 शताब्दी ) में ज्ञान का तीसरा वर्गीकरण हुआ। उसके अनुसार प्रमाण के दो प्रकार हैं-(१) प्रत्यक्ष और (2) परोक्ष / प्रत्यक्ष के दो प्रकार हैं-(१) सांव्यवहारिक और (2) पारमार्थिक / 4 परोक्ष के पाँच प्रकार हैं-(१) स्मृति, (2) प्रत्यभिज्ञा, (3) तर्क, (4) अनुमान और (5) आगम।" १-उत्तराध्ययन 28 / 4 : तत्य पंचविहं नाणं सुयं आभिनिबोहियं / . . ओहिनाणं तु तइयं मणनाणं च केवलं // २-नंदी, सूत्र 2 : - तं समासओ दुविहं पण्णत्तं, तंजहा–पञ्चक्खं च परोक्खं च / ३-प्रमाणनयतत्त्वालोक 231 : तद् द्विभेदं प्रत्यक्षं च परोक्षं च / ४-वही, 204: तद् द्विप्रकारम् सांव्यवहारिकं पारमार्थिकं च / ....५-वही, 32: स्मरणप्रत्यभिज्ञातर्वानुमानागमभेदतस्तत्पञ्चप्रकारम् /