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________________ 226 दशवकालिक : एक समीक्षात्मक अध्ययन लगी हुई होती थी और उसपर मांस का टुकड़ा रखा जाता था। जब मत्स्य मांस को खाने आता तब उसका गला तीक्ष्ण लोहे की नोक में फंस जाता। श्रमण: ___ कई प्रकार के साधु तंत्र, मंत्र और चिकित्सा आदि के द्वारा दूसरों का हित सम्पादन कर अपनी आजीविका चलाते थे। व्यक्ति: दशवकालिक में निम्न व्यक्तियों के नाम मिलते हैं। (1) उनसेन-भोजपुल का एक राजा / (2) समुद्रगुप्त—अन्धकवृष्णि कुल का एक राजा / (3) रकनोमि / (4) राजीवती। (5) भद्रिकाचार्य (प्रा० भद्दियायरियु) / (6) दत्तिलाचार्य (प्रा० दत्तिलायरिया ) / (7) गोविन्द वाचक-ये बौद्ध थे। ज्ञान प्राप्त करने के लिए इन्होंने प्रव्रज्या ग्रहण की। आने चलकर वे महावादी हुए। सिका: पूणी (रुई की पहल ) कौडी आदि भी सिक्के के रूप में प्रचलित थे। १-जिनदास चूर्णि पृ० 341 // २-दशवैकालिक, वा५०। ३-संबच है इन दोनों प्राचार्यो की सालिक पर कोई मचान हो। खो-जिनवास चूर्वि,४॥ ४-प्राकृत साहित्य का इतिहास, पृ० 204 / . .
SR No.004301
Book TitleDashvaikalik Ek Samikshatmak Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Nathmalmuni
PublisherJain Shwetambar Terapanthi Mahasabha
Publication Year1967
Total Pages294
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size16 MB
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