________________ आपणने संपर्क थतो होय छे अने जे कोई प्रतिभाशाली व्यक्तिने मळीए तो ते पण ज्ञानना कोई एक क्षेत्रमा विशेषता धरावतो होय / कोई वैयाकरण तार्किक न होय अने कोई तार्किक आयुर्वेद जाणतो न होय अने जाणतो होय तो ए कवि न होय, साधु न होय परंतु इतिहास एवा पण पुरुषोनी नोंध धरावे छे, जेओ अनेक मुख्य प्रतिभा धरावता होय तेवा जवल्ले जोवा मलता महानुभावोमा आ. सिद्धसेन एक हता / तेमनी कृतिओ अने तेमना जीवनपटना उल्लेखो परथी तेमनी एक मुख्य प्रतिभानो ख्याल आवो शके तेम छ / आ० सिद्धसेन महान् कवि हता एटल ज नहीं तार्किक; तत्त्ववेत्ता, साधु चरित प्रखर बादी अने बोजा निर्देशोनो स्वीकार करीए तो वैयाकरण, ज्योतिर्विद्, वैदकना निष्णात पण हता। तेमना स्थाननो कोई सीमा जणाती नथी / तत्कालीन भारतीय ज्ञानसमृद्धि एमना वाक्ये वाक्यमा देखाय छे तेमां अर्थशास्त्र तथा आयुर्वेदनो पण समावेश थई जाय छे / कवि सिद्धसेन- आ० सिद्धसेन प्रथम कक्षाना कवि हता। एमणे कोइ महाकाव्य रच्युं होत तो भारतना महाकविओमां एमने मानभयु स्थान प्राप्त थात / आपणे जोइए छोए के तत्त्वज्ञान एमनी कवित्वशक्तिने उभरवा देतुं नथी / आने लोधे एमनो . कविता ढंकाइ गइ अने एमनी जेटली महत्ता अंकावी जोईतो हतो तेटला न अंकाई / आम छतां ज्यां एमनां कान्य तत्त्वज्ञानना आलेखन विना प्रगट थयां छे त्यां पूरतां आस्वाद्य बन्यां छे / 'गुणवचनद्वात्रिंशिका' अने 'स्तुतिद्वात्रिंशिका' तेनां सारां उदाहरण छे / भ० महावीरना दोक्षासमये नागरिकोनुं चित्रात्मक वर्णन अने