________________ 42 बौद्धदर्शन पंदरमी द्वात्रिंशिका बौद्धोना संतानवोदने आलेखे छे / आ० सिद्धसेननी सामे कया बौद्ध ग्रंथो विद्यमान हशे ते दर्शावईं मुश्केल छे। आ द्वात्रिंशिकामां पुद्गल, प्रतीत्यसमुत्पादवाद, पदार्थ आदिनुं बौद्धमत अनुसार निरूपण थयुं छे / त्यारबाद भावना, हेतुप्रत्यय, निर्वाण वगेरे, आलेखन करायुं छे / नियतिवाद सोळमो द्वात्रिंशिकाने नियति नाम अपायु छे / उपनिषत्काळमां पण छ कारणो पैको नियति एक मानवामां आवती / मंखलिपुत्र गोशाल नियतिवादनो पुरस्कर्ता मानवामां आवे छे / एक रीते आजीविक संप्रदायर्नु आलेखन करती आ एक मात्र कृति छे एम कही शकाय / मा कृतिमां नियतिने लगता केटलाक प्रश्नो चर्चवामां आव्या छ / नियतिवाद अनुसार स्रष्टाना विचारने नकाराय छे अने हेतु, प्रयोजन तेमज प्रयत्ननो पण स्वीकार करवामां नथी आवतो / गोशालना मत प्रमाणे आत्मानी स्थिति पूर्व निश्चित होय छे / आ कृतिमां देवो विशेनी मान्यता पण व्यक्त कराई छे / अनुमान विशे पण विचार करायो छे / आ बधी कृतिओ प्रमाणमा त्रुटक अने अस्पष्ट होई नहीं विस्तारना भये तेनी विगते चर्चा करी नथीं / दरेक कृतिनो एक आगवो ग्रंथ तैयार थाय तो ज आवी चर्चा करी शकाय /