________________ 40 / एक तो तेनी प्राचीनतानी दृष्टिए अने बोजु अन्य धर्मना लेखकनी कृति लेखे / सांख्यप्रबोधनुं लेखन प्रमाणमां त्रुटफ अने संदिग्ध छे अने ते कोई रोते मा दर्शनने मूलतः निरूपतुं नथी, छतां बीजां प्रमाणो प्राप्त थतां होय त्यारे एक विशेष प्रमाणरूपे अथवा तुलनारूपे आ ग्रन्थ घणो उपयोगी छे / ईश्वरकृष्णरचित 'सांख्यकारिका' कदाच सांख्यशास्त्रनो सर्वथी प्राचीन उपलब्ध थतो ग्रन्थ छे पण ते इशु पूर्व होय एम लागतुं नथो, अने ते रीते पण सांस्यप्रबोधनु महत्व छ / __ आ० सिद्धसेन मारंभमां तो सांख्यनी परंपरा दर्शावे छे / आ० सिद्धसेने 'सन्मतितर्क'मां कपिलनु नाम लईने उल्लेख को छ / महीं कपिलने ऋषि तरीके उल्लेखता हाय एम लागे छे / त्यार गद आसुरि, कोईक उमावसुदेव भने व्यासनो उल्लेख करायो छे / सांख्यना आचार्यामां आसुरिनुं नाम जाणीतुं छे / 'महाभारत'मां कपिल भने आसुरि वच्चेनो सांख्य विशेनो रसप्रद संवाद निरूप्यो छे / आ० सिद्धसेन पंचशीखनो ते नामथी उल्लेख नथी करता परंतु तेना गोत्रनामथी निर्देश करे छे भने तेने तंत्र माटे कारणभूत माने छे / तंत्र शब्दनो अर्थ अस्खलित परंपरा पण थई शके / शक्य छे के आ तंत्र 'षष्ठीतंत्र' होय, जेनो उल्लेख 'अहिर्बुध्न्यसंहिता' तथा 'अनुयोगद्वार' अने 'औपपातिकसूत्र' मां सांपडे छे। पंचशीख ए ज व्यास ए दर्शावतां बोजां प्रमाणो टांको शकाय पण एना माटेर्नु आ स्थान नथी /