________________ 'वेदवाद' शब्द आ• सिद्धसेनना समयमा प्रचलित हो / गीतामां अने प्राचीन साहित्यमां आ शब्द घणीवार वपरायेलो जोवा मले छे, ज्यारे ब्राह्मणदर्शन जेवी संज्ञा प्रचलित थई नहीं होय त्यारे ते दर्शाववा वेदवाद शब्द वपरातो हशे / 'गीता'मांना तेना उल्लेख परथी ज एम जणाई आवे छे के कर्मकांडपरायण ब्राह्मणधर्म माटे आ शब्द प्रयोजातो परन्तु ते एक जुदो अभ्यास मागी न्यादर्शन-- * बारमी द्वात्रिंशिकामां न्यायदर्शन, आलेखन थयु छे, जेनो मुख्य आधार ग्रंथ छे गौतमकृत न्यायसूत्र / बारमी द्वात्रिंशिकामां न्यायसूत्र साथेनां अनेक साम्य दर्शावी शकाय एम छे / मा० सिद्धसेने तेमां हेतु अने हेत्वाभासनी चर्चा करी छे। अहीं तही गौतमनी परिभाषा करतां जुदो परिभाषा जणाशे / केटलाक सिद्धांतोनी चर्चा पण कराई छ / केवी रीते व्यक्ति वादमां विजय प्राप्त करे छे अने तेनी निर्बलताओ कई छे ते पण दर्शाव्यु छे / एवं जणाय छे के आ० सिद्धसेनने वादमां विशेष रस छ / नृपगोष्ठीओमां वक्तत्वकौशल्य बतावीने धर्म, अर्थ अने कीर्ति मेलवी शकातां . हशे / ते युगमां बिचार पण शो रीते करी शकाय ? . सांख्यप्रबोध तेरमी द्वात्रिंशिकानु नाम सांख्यप्रबोध अपायुं छे अने तेमां भारतीय दर्शनोमांना एक प्राचीन सांख्य दर्शननो विचार करवामां मान्यो छे / आ० सिद्धसेन दिवाकरनी आ कृतिनु महत्त्व बे प्रकारे