________________ उपलब्ध प्रतिमां एकत्रोश लोक ज मळे छे अने अनुष्टुपनी वे पंक्तिओ खूटे छे ते पुनाना भांडारकर इन्स्टिटयूटनी हस्तप्रतिमां मळो आवे छे ते अगियारमा श्लोकनो बोजो पंक्ति अने बारमा लोकनो पहेली पंक्ति / आम छायेल प्रतिना लोकनो क्रम फरी जाय छ। ___आ० सिद्धसेन प्रथम पंक्तिमा ज ज्ञान, दर्शन अने चारित्रने मोक्षना उपाय तरीके दर्शावे छे / पंडित मुख्तारजी अहीं 'उपायाः' पाठ स्वोकारो बहुवचनना उपयोग सामे वांघो ले छे भने एवी तारवणो करवा मथे छे के आ० सिद्धसेनने जाणे मोक्षना त्रण भिन्न भिन्न मार्ग अभिप्रेत होय / आ बराबर नथी / वळी, दर्शन र्वे ज्ञान मूकवाथी क्रम बदलाई जतो नथी, मात्र आ० सिद्धसेन अल्प प्राण शब्दने पहेलां मूके छे एटलुज / अलबत्त, आ एक समाधान ज कहेवाय / हवे आ० सिद्धसेन ज्ञाननु आलेखन आरंभे छ / ज्ञान देहादिना विषयवालं होय छे अने ते अभिव्यक्किना स्वरूपवालं होय छे। त्यार पछो तेनो शक्तिओ दर्शावी छ / परस्परस्पृष्टगतिर्भावनापचया ध्वनिः / स्पष्टग्राह्यश्रुते सम्यगर्थभाव्योपयोगतः // 11 // सांघतभेदोभयतः परिणामाश्च संभवः / बहुस्पृष्टगमद्वयादिस्नेहसैक्ष्यातिशायनात् // 12 // संभव माटे 'तत्त्वार्थसूत्र' संघात अने भेद बे कारण