________________ अने मोक्षy कारण छे' एम / त्यार बाद पुण्य अने पाप विशे आ० सिद्धसेने जणाव्यु छे / वळो, तेओ लखे छे के जे रीते दवा जाणवाथी रोग मटतो नथो ते रीते ज्ञान होय ने चारित्र न होय तो एनुं कशुं फळ नथी / ए ज रीते चोरित्र होय अने ज्ञान न होय तो पण न चाले / अज्ञानरूपी तमोमूलना समुद्वातथो ज निर्विकल्प कल्याण प्राप्त थाय छे / अनुशासन___ आ ( अढारमी) द्वात्रिंशिकामां शैक्षोने ज्ञान आपवा अंगेना नियमो तथा सूचनाओनी चर्चा करवमां आवो छ / आखी कृति आ० सिद्धसेननो विशिष्ट शैलीनी छाप धरावे छे / सर्वत्र जणाय तेम अहीं पण मोटा व्यापक विषयने नानकडां सचोट वाक्योमा निरूपायो छे / अहीं शैली अलंकृत नथी पण घेणां आकर्षक उपमानो जोवा मळे छे जे एमना ज्ञानना विशाल प्रदेशमांथी आवे छे-खास करीने वैदकने लगतां उपमाना। आ० सिद्धसेन जणावे छे के जे व्यक्तिनुं मन स्थिर न थयु होय तेने शास्त्रना ऊंडाणानुं प्रतिपादन दोषकर्ता बने छे, जेवी रोते ताजा ज्वरमां शमनोय औषधनो प्रयोग / जेने ताजो ताव आव्यो होय तेने तरत शमनीय औषध आपवामां आवे तो ते दोषकर्ता बने छ / आ० सिद्धसेननुं आ कथन वैदकीय महत्त्व पण धरावे छे / बीजी कृतिओनी जेम आ कृतिमां पण एर्नु व्यावहारिक दृष्टिबिंदु देखाई आवे छे / एमणे दर्शावेल शैक्षो अने शिक्षको माटेनी