________________ 1. 'वेदवादद्वात्रिंशिका'मा प्राचीन ब्राह्मणधर्मनी मान्यताको भिम रीते ब्यक थई छ / 5. तेमनी कृतिमोमा संस्कृतना आर्ष रूपोनो प्रयोग थयो छ। 6. जैनोमां मा० सिद्धसेन न्यायशास्त्र विशे लखनार प्रथम छ। 7. तेमनी कृतिओमां परंपरा साथेना संघर्षतुं प्रतिबिंब पणे पडछे / 8. आ. सिद्धसेन एवा वातावरणमा जन्म पाम्या अने विचर्या जणाय छे ज्यारे आगम साहित्यने संस्कृतमा रूपांतरित करवर्नु मन थाय। . मा बधा पुरावामो दुर्शावे छे. के आ० सिद्धसेन इ. स. नी चोथी शताब्दी पूर्वे क्यारेक थया हशे, संभवतः इ. स. पूर्वेनी प्रथम सदीमा / कृतिओ जेनुं कर्तृत्व आ० सिद्धसेनने आरोपायु होय तेवी घणो कृतिको मळे छ / एम लागे छे के आ नामना घणा लेखको थया हो / यो विचार करतां 'सन्मतितर्क' अने 'द्वात्रिंशिकाओ' आ० सिद्धसेन दिवाकरनी कृतिमओ होय एम लागे छ / मूळमां तो 32 छात्रशिकामो हतो जेमांथी अत्यारे एकवीस मळे छे अने आ एकवीस पैकी पदरमा ज बत्रीश श्लोको छे / आ द्वात्रिंशिकाओनी. गोठवणी . मने तेमांना लोको पण विवादथी पर नथी / एकवीस द्वात्रिंशि