________________ का परिचय दिया है कि ये "पुन्नाट-संघ" के आचार्य थे एवं इनके गुरु का नाम "कीर्तिषेण" तथा दादा गुरु का नाम "जयसेन" था। इनका समयकाल विक्रम संवत् 800 से 900 के बीच का माना जाता है। जिनसेन के जन्म, माता-पिता, जन्मस्थान, शिक्षा-दीक्षा के सम्बन्ध में जानकारी उपलब्ध नहीं होती है परन्तु इनका "पुन्नाट संघ" कर्नाटक से सम्बन्धित था जिसके बारे में अनेक विद्वानों ने अपने मत प्रकट किए हैं। पुन्नाट संघ :- जिनसेन स्वामी पुनाट-संघ-परम्परा में हुए थे, जैसा कि ग्रन्थ प्रशस्ति से विदित होता है। व्युत्सृष्टापरसंघसंततिबृहत्पुन्नाटसंघान्वये॥६४/५४ "हरिषेण स्वामी ने अपने कथाकोष में लिखा है कि भद्रबाहुस्वामी के आज्ञानुसार उनका सारा संघ चन्द्रगुप्त या विशाखाचार्य के साथ दक्षिणापथ "पुन्नाट" देश में गया। दक्षिणापथ का यह "पुन्नाट" "कर्नाटक" ही है।". वामन शिवराम आप्टे ने भी अपने संस्कृत इंग्लिश कोश में पुन्नाट का अर्थ "कर्नाटक" देश दिया है। कई संस्कृत कोशों में "नाट" शब्द भी मिलता है। उसका अर्थ भी "कर्नाटक" किया गया है। अतः नाट तथा पुन्नाट दोनों शब्द पर्याय है जिनका अर्थ कर्नाटक होता है। प्रसिद्ध भूगोलवेत्ता "टालेमी" ने पुन्नाट को पौन्नट नाम से उल्लेखित किया हैं जिसका अर्थ भी कर्नाटक होता है। कन्नड़ साहित्य में भी पुन्नाट राज्य की प्रचुरता के साथ उल्लेख मिलता है। इस देश के जैन-मुनि संघ का नाम पुन्नाट संघ था। वर्तमान मैसूर जिले की "होग्गेडवन्कोट" नाम की तहसील में कित्तुर नाम का ग्राम है जिसका प्राचीन नाम “कीर्तिपुर" था। यही. पुन्नाट राज्य की राजधानी था। पुन्नाट नाम से ही वहाँ का मुनि संघ "पुन्नाट संघ" से प्रसिद्ध था। देशों के नाम को धारण करने वाले और भी कई संघ प्रसिद्ध हैं, जैसे द्रविड़ देश का संघ "द्रविड़ संघ" मथुरा का माथुर संघ आदि। पुन्नाट की राजधानी कित्तुर होने के कारण यह संघ कित्तुर संघ भी कहलाता था। श्रवणबेलगोला के 194 वें नम्बर के शिलालेख (जो शक संवत् 622 के लगभग लिखा हुआ है) में कित्तुर संघ का उल्लेख है। प्रोफेसर हीरालाल इसे पुन्नाट संघ का ही दूसरा नाम होने का अनुमान करते हैं जो सर्वथा ठीक हैं। - "पुनाट" शब्द का एक अर्थ नागकेसर भी होता है। "दी-स्टेण्डर्ड संस्कृत इंग्लिश डिक्शनरी" के सम्पादक एल.आर. वैद्य ने पुन्नाट संघ का अर्थ नागकेसर किया है। "कर्नाटक प्रान्त में नागकेसर होती है। वहाँ नागकेसर के जंगल के जंगल नजर आने के कारण इस देश को पुन्नाट संघ की संज्ञा प्राप्त हुई होगी।"६ -