________________ 28. आदित्यानामहं विष्णुर्थोतिषां रविरंशुमान्। श्रीमद् भगवद्गीता - 10/21 29. वेदानां सामवेदोस्मि देवानामस्मि वासवः। श्रीमद् भगवदगीता - 10/22 30. सूर के कृष्ण एक अनुशीलन - शशि तिवारी पृ० 17 / / 31. नारायणाय विद्महे वासुदेवाय धीमहि, तन्नो विष्णुः प्रचोदयात् // तैत्तिरीय-आरण्यक 32. कृष्णो हि तदाङ्गिरसो ब्राह्मणान् छन्दसीय तृतीयं सवनं ददर्श। कोब्रा० 33. अथ हास्या एतत्कृष्ण हारितो। वाग्ब्रह्मणामित्रोपोदाहरित इति॥ - ऐतरेय आरण्यक ___ मध्यकालीन कृष्णनाट्य में रूप सौंदर्य - पुरुषोत्तम अग्रवाल - पृ० 13-14 34. सूर के कृष्ण एक अनुशीलन - शशि तिवारी - पृ० 16 35. कृष्णस्य हि कृते विश्वमिदं भूतं चराचरम्। एव प्रकृतिरत्यक्ता कर्ता चैव सनातनः॥ सभापर्व 38/232 36. सूर के कृष्ण एक अनुशीलन - शशि तिवारी - पृ० 16 37. सर्वेषामाश्रयो विष्णुरैश्वर्यविधिमाश्रितः। सर्वभूतकृतावासो वासुदेवेति चोच्यते // शांति पर्व 347/74 38. महाभारत 52 / 89 39. महाभारत-शांतिपर्व 341/342 40. मध्यकालीन हिन्दी कृष्ण काव्य और रूप सौन्दर्य - डॉ० पुरुषोत्तम अग्रवाल - पृ० 20 . 41. वैष्णव धर्म का संक्षिप्त इतिहास - पु०के० शास्त्री - पृ० 39 42. यद्ययं जगतः कर्ता यथैनम्मूर्ख मन्यते। . कस्मान्न ब्राह्मणं सम्यगात्मानमवगच्छति॥ महाभारत 2/43/611 83. The Cultural Heritage of India Vo.-Il Page 85 by Dr. rama Swami Aiyar 44. भक्ति का विकास - डॉ० मुंशीराम शर्मा - पृ० 124 45.. Collected work's of Sir R.G. Bhandarker Vo/IV Page 49 46. श्रीमद् भागवत पुराण। 1/3/27 47. हिन्दी कृष्ण भक्ति काव्यों पर पुराणों का प्रभाव - डॉ० शशि अग्रवाल - पृ० 39 48. ब्रह्मवैवर्त पुराण - श्री कृष्ण जन्म खंड - 20/4 से 51 49. ब्रह्मवैवर्त पुराण - श्री कृष्ण जन्म खंड - 1/36 50. रेफोति कोटि जन्मान्ध कर्मयोग शुभाशुभम्।। आकारो गर्भवासं स मृत्युं रोगमुत्सृजम् // ब्र०वै०पु० जन्मखण्ड 15/56-69 51. . श्रीमद् भागवत 1/3/28 एते चाशं कृत्वा पुंसः कृष्णस्तु भगवान् स्वयं / 52. श्रीमद् भागवत 10/85/31 53. श्रीमद् भागवत 4/7/49 से 52 - - -