________________ * 3 | टिप्पणियाँ :1. "हिन्दी साहित्य का विवेचनात्मक इतिहास"-राजनाथ शर्मा-पृ० 292 2. "हिन्दी साहित्य का विवेचनात्मक इतिहास"-राजनाथ शर्मा-पृ० 292 3. हिन्दी कृष्ण काव्य में भक्ति और वेदान्त-डॉ० संतोष पाराशर-पृ० 3 सूर के कृष्ण : एक अनुशीलन-शशि तिवारी-पृ० 9 . सूर-सौरभ-मुंशीराम शर्मा-पृ० 76 6. महाकवि सूरदास-नन्ददुलारे वाजपेयी-पृ० 19 7. सूर के कृष्ण : एक अनुशीलन-शशि तिवारी-पृ० 10 8. "कल्याण" वर्ष 62 पृ० 673 यस्माद्विश्वमिदं सर्वं तस्य शक्त्या महात्मनः। तस्मादेवोच्यते विष्णुर्विशधातोः प्रवेशनात् / / 10. सूर की झांकी-डॉ० सत्येन्द्र-पृ० 17 11. त्रीणि पदानि विचक्रमे विष्णुगोपा अदम्य। ऋग्वेद - 1/22/12 12. इदं विष्णुर्विचक्रमे त्रेधा निदधे पदम्। ऋग्वेद-१/१२/१७ 13. यः पर्वतान् प्रकुमितान्प्रकुपितां अरम्यास। सूर के कृष्ण - शशि तिवारी - पृ० 15 14. यः अंतरिक्ष विममे वरीयः। सूर के कृष्ण - शशि तिवारी - पृ० 16 15. यः हत्वा अहिं अरिगात सप्तसिन्धूनः। सूर के कृष्ण - शशि तिवारी - पृ० 16 16. अयं वां कृष्णो अश्विनो हवते। निरुक्त-यास्क 17. ऋषिः दर्शनात् यः परोक्षं पश्यति सः ऋषिः। निरुक्त यास्क। ऋ० 3/15/3 18. आयांत्विन्द्रः स्वपतिमदाय। 19. स्रोतं राधानांपत। ऋग्वेद 1/30/5 20. ग्वामय ब्रजं वृधि। ऋग्वेद 1/10/6 21. ग्वामय-ब्रजं वृधि। ऋग्वेद 1/10/6 22. त्वं नृचक्षा वृषभानु पूर्वी कृष्णास्वग्न अरुषो विभर्ति। 23. तमेदताधारयः कृष्णारोहिणीषु। ऋ० 1/93/13 24. कृष्णा रूपाणि अर्जुना विवामदे। ऋ० 10/21/3 25. सर्वेषां तु सनामानि कर्माणि च पृथक्-पृथक्। वेदशब्देभ्य एवादौ पृथक् संस्थाश्च निर्ममे // मनुस्मृति 1/2 26. सूर और उसका साहित्य - डॉ० हरवंश शर्मा - पृ० 125 27. भारतीय साधना और सूर साहित्य - डॉ० मुंशीराम शर्मा - पृ० 169.