________________ कृष्ण और क्राइस्ट की साम्यताएँ : क्राइस्ट का जन्म भी करीब-करीब कृष्ण जैसा ही शुरु होता है। उनका जन्म भी अंधेरी रात में होता है और वह भी अश्वशाला में, जिसका किसी को पता न चला। उसी तरह कृष्ण का जन्म भी अंधेरी रात्रि में कारागार में होता है। जन्म के समय क्राइस्ट तथा कृष्ण दोनों भय से घिरे रहते हैं। क्राइस्ट को नृशंस राजा से बचाने हेतु मिश्र देश भेजा जाता है तो श्री कृष्ण को गोकुल ले जाया जाता है। जार्ज ग्रियर्सन का मत है कि-"वैष्णवों की दास्य भक्ति, प्रसाद, पूतना-स्तनपान आदि ईसाईयत की देन हैं। पूतना बाइबल की वार्जिन है। प्रसाद लवकीस् और दास्यभक्ति पाप-पीडित मानवता का रुदन।'६० मोरेनो नामक एक विद्वान् ने कृष्ण और क्राइस्ट के साम्य का वर्णन करते हुए कहा है कि "ईसामसीह ने मानव जाति के लिए अपने प्राणों का बलिदान कर दिया। क्रॉस द्वारा उनकी बुरी तरह से हत्या कर दी गई। कृष्ण के पादतल में भी एक व्याध ने अनजान में बाण मारा / झाड़ियों में छिपे रहने के कारण वह उन्हें देख नहीं सका। यूरोप आज भी जनोद्धारक प्रभु ईसामसीह की पवित्र स्मृति में सिर झुकाता है और भारत के करोड़ों नर-नारी आदर्श पुरुष जनता के नायक श्री कृष्ण के चरणों में अपना मस्तक झुकाते हैं।"६१ डॉ० मुंशीराम का. मत है कि "जिन संकेतों से पाश्चात्य विद्वान् कृष्ण को क्राइस्ट का रूपान्तरण मानते हैं, इनमें से कई संकेतों का खण्डन पाश्चात्य विद्वानों द्वारा हो चुका है।" पश्चिम के ही विद्वान् डॉ० ए०वी० कीप ने इसका खण्डन किया है। कृष्ण क्राइस्ट का रूपान्तरण क्यों? क्राइस्ट कृष्ण का रूपान्तरण क्यों नहीं? कृष्ण का अस्तित्व हम ब्राह्मण काल तक दिखा चुके हैं। क्या पश्चिमी विद्वान् मानेंगे कि कृष्ण की कथा वहाँ क्राइस्ट सन्त के नाम से प्रचलित हो गई? "बाइबिल इन इन्डिया" का फ्रांसीसी लेखक जेकालियर तो ऐसा ही कहता है / 62 यह निश्चित है कि ईसा के सैकड़ों वर्षों पूर्व अधिकांश हिन्दू कृष्ण की भक्ति या पूजा करते थे। यूनानी राजदूत मेगस्थनीज के लेखों से यह प्रमाणित हो जाता है। उसने स्वयं ने लिखा है कि "वह भारतीय हेरोक्लीज शारीरिक एवं आत्मिक बल में सबसे बंडा-चढ़ा था। उसने सारी पृथ्वी और समुद्रों को पापशून्य कर दिया और कई नगर बसाये। उसके चले जाने के बाद लोग उसे ईश्वर की तरह पूजने लगे। भारत की शौरसेनी (यादव) जाति के लोग उनकी विशेष रूप से पूजा करते हैं। मथुरा और क्लीसोबेरा नाम की नगरियों पर उसका आधिपत्य है तथा उन दोनों नगरों के बीच जोहारीन (जमुना) बहती है। जर्मन विद्वान् लेसल की धारणा है कि भारतीय हेरोक्लीज नाम से कृष्ण का ही निर्देश किया गया है।"६३ =19