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________________ मणि की कथा है। इस कथा में श्री कृष्ण जाम्बवान को युद्ध में पराजित कर स्यमन्तक मणि तथा उसकी पुत्री जाम्बवती को लेकर द्वारका आते हैं। इसमें श्री कृष्ण की अलौकिकता के दर्शन होते हैं, जैसे-कृष्ण के जन्म के समय सागर का कंपित होना, पर्वतों का चलायमान होना, ज्योतियों का चमकना एवं विजय नामक मुहूंत में कृष्ण का जन्म होना आदि बातों की चर्चा है / रुक्मिणी, सत्या, सत्यभामा आदि अप्सराओं के चतुर्दश गुणों से सम्बन्धित सोलह सहस्र कृष्णपत्नियों का उल्लेख भी इसमें मिलता है। इसमें श्री कृष्ण राधाविलासी, गोलोक में क्रीड़ा करने वाले, कुंजबिहारी तथा पीताम्बरधारी हैं। वामन पुराण में भी श्री कृष्ण चरित्र का वर्णन संक्षेप में आता है। इसमें केशी, उर तथा कालनेमि वध की चर्चा है / वामनावतार तथा त्रिविक्रम की भी कंथा आती है। कूर्म पुराण में भी यदुवंश के वर्णन के बाद २५वें अध्याय में कृष्ण की कथा का अंश है जिसमें कृष्ण पुत्र की प्राप्ति के लिए महादेव की आराधना करते हैं। गरुड़ पुराण के आचार काण्ड में श्री कृष्ण की कथा का विस्तार है। १४४वें अध्याय के 11 श्लोकों में पूतना, शकट, यमलार्जुन, कालियदमन, गोवर्धन-धारण, केशी, चाणूर वध, गुरु सांदीपनि द्वारा शिक्षा लाभ एवं श्री कृष्ण की आठ पत्नियों का वर्णन है। इस प्रकार उपर्युक्त पुराणों में श्री कृष्ण ब्रज-बिहारी, गोपीजन-वल्लभ, लीलाविहारी रसिक कृष्ण हैं। महाभारत के वीर योद्धा, धर्मरक्षक कृष्ण का यहाँ अभाव है। इन पुराणों में मुख्य रूप से श्री कृष्ण गोपिकाओं के प्रेम को ही विविध रूपों में प्रस्तुत किया गया है। इस गोपी-भाव को पुराणकारों ने महाभाव की संज्ञा देकर इसके महत्त्व को बढ़ा दिया है। इसमें वासुदेव, नारायण, हरि, अच्युत, केशव, मुरारि, जनार्दन इत्यादि कई नामों से श्री कृष्ण का स्तव किया गया है। गोपियाँ, राधा एवं गोप-ये सभी श्री कृष्ण चरित्र के अभिन्न अंग हैं। गोपियों को पूर्व जन्म में ऋषि मानकर कृष्णलीला में भाग लेने हेतु ब्रज में अवतरित हुई बताया गया है। परन्तु इन पुराणों ने कृष्ण-व्यक्तित्व के विकास को महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है। कृष्ण और क्राइस्ट : भारतीय इतिहास में कृष्ण चरित्र एक ऐसा लोकप्रिय व्यक्तित्व रहा है कि जिसने अनेक सम्प्रदायों को अपनी ओर आकर्षित किया है। उन्होंने श्री कृष्ण को किसी न किसी रूप से अपने सम्प्रदाय, धर्म के साथ जोड़ने का प्रयास लिया है। कई पाश्चात्य विद्वान् ग्रियर्सन, केनेडी, बेबर आदि कृष्ण को क्राइस्ट का उच्चारण मानते हैं / भक्ति की भावना भी हिन्दुओं को मसीही देन है।५९ बंगाल में कृष्ण को "क्रिस्टो" कहते हैं। यूनान तथा रोम निवासी भी क्राइस्ट का उच्चारण "कृष्टास" करते हैं।
SR No.004299
Book TitleJinsenacharya krut Harivansh Puran aur Sursagar me Shreekrishna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdayram Vaishnav
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2003
Total Pages412
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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