________________ रचनाकाल चौथी शताब्दी स्वीकार किया है। महाभारत के जिस अंश में कृष्ण को केवल महापुरुष के रूप में चित्रित किया है, वह अपेक्षाकृत अधिक प्राचीन है तथा ब्रजवासी गोपाल कृष्ण के रूप में जो अंश हैं वह परवर्ती, काल्पनिक एवं प्रक्षिप्त अंश हैं।७२ . श्री कृष्ण जब पाण्डवों के सलाहकार के रूप में होते हैं, तब वे पूर्ण मानव हैं। कई ब्राह्मण कहते हैं कि मूर्ख लोग ही कृष्ण को जगत्कर्ता मानते हैं और ठीक, कृष्ण तो स्वयं को क्षत्रिय से ब्राह्मण तक नहीं बना सके। एक स्थान पर उतंग नामक ऋषि भी कृष्ण को शाप देने के लिए उद्यत होते हैं। इससे भी ज्ञात होता है कि कृष्ण केवल मानव हैं। इस प्रकार एक तरफ तो मानव के रूप में वीर, योद्धा, राजनीति तथा कूटनीति के ज्ञाता हैं, वहीं दूसरी ओर वे वासुदेव, नारायण एवं विष्णु के अवतार हैं। कई विद्वानों के द्वारा महाभारत काल के कृष्ण पर अवतारवाद का आरोप लगा है। महाभारत में द्वारकावासी कृष्ण का चरित्र मिलता है और वह भी बाल किशोर के रूप में नहीं वरन् परमवीर योद्धा और दार्शनिक रूप में। इतना होने के उपरांत भी इसमें तनिक भी सन्देह नहीं है कि कृष्ण के ऐतिहासिक व्यक्तित्व को किंचित् अंश में प्रस्तुत करने का सर्वप्रथम प्रयास महाभारत में ही हुआ है। वेद, उपनिषद, ब्राह्मण, आरण्यक आदि ग्रन्थों में कृष्ण विषयक या कृष्ण नामवाची उल्लेख मिलते हैं परन्तु वे ऐतिहासिक नहीं कहे जा सकते, जबकि महाभारत एक विशाल ऐतिहासिक ग्रन्थ है। महाभारत में कृष्ण के व्यक्तित्व की तीन स्थितियाँ स्पष्ट रूप से दृष्टिगोचर होती हैं-(१) सामान्य मानव, अर्जुन के मित्र तथा पाण्डवों के हितेच्छु व सलाहकार (2) लौकिक एवं अलौकिक शक्ति से सम्पन्न परमवीर एवं (3) परब्रह्म।३ डॉ० मुंशीराम शर्मा की मान्यता है कि "गीता द्वारा यह सिद्ध नहीं होता कि वासुदेव और नारायण अभिन्न हैं। इन दोनों के एकत्व की भूमिका बाद में घटित हुई। डॉ० भण्डाकर के अनुसार "द्वारकाधीश कृष्ण का वर्णन महाभारत में हुआ है तथा इसी महाभारत के खिल अंश हरिवंशपुराण में गोपाल कृष्ण की भावना का विकास हुआ है। इससे यह स्पष्ट होता है कि गोपाल कृष्ण की कल्पना महाभारत के बाद की है क्योंकि हरिवंशपुराण महाभारत का प्रक्षिप्त अंश है। इस पुराण में कृष्ण ने स्वयं अपने को पशुपालक कहा है। गोवर्धन पूजा, श्री कृष्ण-ब्रज-वृन्दावन-निवास का उल्लेख भी इसी में मिलता है। इन्हीं गोपाल कृष्ण की भावनाओं ने ही वैष्णव-परम्पराओं को सर्वाधिक प्रभावित किया है।"०५ __इस प्रकार से कृष्ण के वास्तविक रूप के दर्शन महाभारत में ही होते हैं। यदि हम कृष्ण को महामानव मानकर चलें तो महाभारत के कृष्ण आदर्श मानव हैं। उनके शांति स्थापित करने का प्रयास इस बात का प्रमाण है कि वे व्यक्ति की अपेक्षा संसार को महत्त्व देते थे। इसलिए वे शांतिदूत बनकर कौरवों के पास जाते हैं। '