________________ कवियों की उत्तम पंक्तियों को वाक्य का सहज अंग बनाकर उन्हें सुन्दर ढंग से यत्र-तत्र प्रयुक्त किया है। इनकी सूक्तियों की एक लम्बी सूची बन जाती है। कवि ने यथास्थान इन सूक्तियों का प्रयोग कर अपनी बात को धारदार बनाया है। हरिवंशपुराण में प्रयुक्त महत्त्वपूर्ण सूक्तियाँ निम्न प्रकार से हैं(१) हरिवंशस्य-सूक्तय :___ (1) आलोके जिनभानुजा विरचिते ध्वान्तस्य वा क्व स्थितिः। (4/384) (सूर्य के द्वारा प्रकाश के उत्पन्न होने पर अंधकार का सद्भाव कहाँ रह सकता है।) (2) मौनं सर्वार्थसाधनम् (7/129) (मौन सब कार्यों को सिद्ध करने वाला है) (3) किं न स्याद् गुरुसेवया (9/131) __(गुरु सेवा से क्या नहीं होता) (4) विद्यालाभो गुरुवंशात् / (9/30) (विद्या की प्राप्ति गुरु से होती है।) (5) सर्वतोऽपि सुदुःप्रेक्ष्यां नरेन्द्राणामपि स्वयम् / दृष्टिं दृष्टिविषस्येव धिक् धिक् लक्ष्मी भयावहाम्। (11/94) (जिस प्रकार विषयुक्त सर्प की दृष्टि नरेन्द्र-विष-वैद्यों के लिए भी सब ओर से दु:खमयी एवं भय उत्पन्न करने वाली होती है उसी प्रकार लक्ष्मी भी नरेन्द्र राजाओं के लिए भी सब ओर से अत्यन्त दुःखप्रेक्ष्य तथा भय उत्पन्न करने वाली है।) . (6) सति बन्धुविरोधे हि न सुखं न धनं नृणाम्। (11/96) (बन्धुजनों से विरोध होने पर न उसे सुख प्राप्त होता है तथा न ही उसका धन स्थिर रहता है।) (7) ·अपवादो हि सह्येत रक्तेन न मनोव्यथा। (14/39) (अपवादों को सहन किया जा सकता है परन्तु मन की व्यथा को नहीं।) ..(8) तमः पतनकाले हि प्रभवत्यपि भास्वतः। (14/40) (सूर्य के पतनकाल में अन्धकार की प्रबलता छा जाती है।) . (9) पापोपशमनोपायाः सत्येव सति जीविते / (14/65) (जीवित रहने पर पाप को शांत करने के बहुत उपाय हो जायेंगे।) -311