________________ प्रयुक्त होते हैं। यही कारण है कि युद्ध एवं विलास के बाद में पात्रों के वैराग्य का वर्णन होता है। इसके अलावा भी रसों की सुन्दर अभिव्यक्ति समाहित होती है। (4) पौराणिक काव्यों में आधिकारिक कथन के अतिरिक्त प्रासंगिक कथाएँ भी पर्याप्त रूप से निबद्ध होती है। आधिकारिक कथा में किसी अवतार या तीर्थंकर का चरित्र निरूपित होता है। प्रासंगिक कथाओं को उपाख्यान कहा जाता है। (5) इन काव्यों में अलौकिक, अतिप्राकृत तथा अतिमानवीय शक्तियों, कार्यों तथा वस्तुओं का समावेश रहता है। (6) इन काव्यों में अपने धर्म की अभिधा और व्यंजना से प्रशंसा एवं पर धर्म की गर्दा होती है अतः उपदेशात्मक प्रवृत्तियों का बाहुल्य होता है। (7) इन काव्यों में प्रायः अनुष्टप् छन्द की प्रधानता होती है। (8) कथा संचालन के लिए "अथ" तथा "ततः" पदों की भरमार रहती है। (9) कथा-कथन के पूर्व अनुक्रमणिका दी जाती है। (10) काव्य के माहात्म्य कथन तथा अपने धर्मकथन के प्रति श्रोता को बद्धपरिकर करने की प्रवृत्ति का इसमें स्पष्ट परिलक्षण होता है। (11) सृष्टि के विकास-विनाश, वंशोत्पत्ति तथा वंशावलियों का वर्णन रहता है। .. (12) अनेक स्तुतियों की योजना रहती है। पाश्चात्य विद्वानों के अनुसार भी महाकाव्य विशालकाय वर्णनप्रधान काव्य होता है। इसका नायक युद्धप्रिय एवं अन्य पात्र शौर्यगुण वाले होते हैं। इसमें केवल व्यक्ति का ही नहीं वरन् सम्पूर्ण जाति के क्रिया-कलापों का भी वर्णन होता है। महाकाव्य के पात्रों का सम्पर्क देवताओं से रहता है अतः जब-जब भी उनके कार्यों की दिशाएँ निर्धारित होती हैं उन सबमें देवताओं अथवा भाग्य का हाथ अवश्य रहता है। इसके अलावा महाकाव्य का विषय परम्परा से प्रतिष्ठित एवं लोकप्रिय होता है और सम्पूर्ण कथा-सूत्र नायक से बँधा रहता है। इसकी शैली उच्चता को लिए हुए विशिष्ट शालीन होती है तथा एक ही छन्द का प्रयोग आदि से अन्त तक प्रमुख रूप से होता है। ___ इसके अलावा कोशकारों ने पुराण-काव्य के पाँच लक्षण स्वीकार किये हैं जिसमें सृष्टि, प्रलय, वंश, मन्वन्तर और वंशों की परम्परा वर्णन का समावेश होता है। आचार्य बलदेव उपाध्याय ने पुराणों के दस लक्षणों का विवेचन किया है जो इस प्रकार से है(१) सर्ग (2) विसर्ग (3) वृत्ति (4) रक्षा (5) अन्तर (6) वंश (7) वंशानुचरित (8) संस्था (9) हेतु तथा (10) अभिप्राय / इसमें विसर्ग, वृत्ति, रक्षा, हेतु तथा अभिप्राय को ही पाँच लक्षणों के साथ विशिष्ट महत्त्व दिया गया है। -200 - -