________________ 26. अणुभाष्यटीका सूत्र 25-26 - पाद 3 / 27. ममैवांशो जीवलोके जीवभूतः सनातनः। गीता अ० 15, श्लोक 7 28. सूरसागर - पद 394 - पृ० 29. हिन्दी कृष्ण काव्य में भक्ति और वेदान्त - डॉ० संतोष पाराशर - पृ० 137 30. सूरसागर 31. सूरसागर - पद 369 - पृ० 32. सूरसागर - पद 369 - पृ० 33. जीवाजीवास्रव बंधसंवरनिर्जरामोक्षस्तत्त्वम्। तत्त्वार्थ सूत्र - अध्याय 1/4 34. हरिवंशपुराण सर्ग 58/22-23 - पृ० 662 35. हरिवंशपुराण सर्ग 58/30-31 - पृ० 662 36. हरिवंशपुराण सर्ग 58/36-38 - पृ० 663 37. हरिवंशपुराण सर्ग 58/53 - पृ० 666 38. विद्याविधाहरेः शक्तिमाययेव विनिर्मिते। ते जीवस्येव नान्यस्य दुःखित्वं चाव्यनीशता / / 35 / / सप्रकाशस्त तत्त्वदीप निबन्ध - पृ० 22 39. सूरसागर पद सं० 105 - पृ० 34 40. सूरसागर पद सं० 42 - पृ० 15 41. सूरसागर पद सं० 44 - पृ० 15 42. सूरसागर पद सं० 43 - पृ० 15 43. . सूरसागर पद सं० 44. सूरसागर पद सं० 99 - पृ० 31 45. सूरसागर पद सं० 48 - पृ० 17 46. सूरसागर स्कन्ध 10 . 47. कायवाङ्मनः कर्मयोगः। सः आस्रवः। तत्त्वार्थ सूत्र 1/2 48. हरिवंशपुराण सर्ग 58/57 - पृ० 667 49. - हरिवंशपुराण. सर्ग 58/58 - पृ० 667 50. हरिवंशपुराण सर्ग 58/60 - पृ० 667 51. हरिवंशपुराण सर्ग 58/202 - पृ० 681 52. सकषायत्वाज्जीवः कर्मणो योग्यान् पुद्गलानादत्ते सम्बन्ध:/तत्त्वार्थसूत्र 8/2 53. . समयसार गाथा - पृ० 254-256 54. हरिवंशपुराण सर्ग 58/202-213 - पृ० 681-82 55.. सूरसागर - तृतीय स्कन्ध - पद सं० 394 - पृ० 137