________________ | टिप्पणियाँ :1. विचार दर्शन - भाग 2 सरदार पटेल युनि० वल्लभ विद्यानगर (गुज०) पृ० 69 . . 2. सम्यग्दर्शनज्ञानचारित्राणि मोक्षमार्गः। तत्वार्थ सूत्र 1/2 श्रद्धान परमार्थानामाप्तगमतमोभृताम्। त्रिमूढापोढ़मष्टांगं सम्यग्दर्शनमस्त्ययम् // रत्नकरण्डश्रावकाचार - 4 मोक्षमार्ग प्रकाशक पृ० 325 पुरुषार्थ - सिद्ध्युपाय पृ० 216 6. हरिवंशपुराण सर्ग 58/19 - पृ० 661 हरिवंशपुराण सर्ग 58/20-21 - पृ० 662 8. हरिवंशपुराण का सांस्कृतिक अध्ययन - पृ० 142 9. न सम्यक्त्वसमं किंचित्काल्ये त्रिजगत्यपि।। श्रेयो श्रेयश्च मिथ्यात्वसमं नान्यतनुभृताम्॥ रनकरण्ड श्रावकाचार - श्लोक - 34. 10. सर्वार्थसिद्धि - अ० 1/1 11. रत्नकरण्डश्रावकाचार - पृ० 42 12. द्रव्यसंग्रह गाथा - 42 13. आपरूप का जानपनै, सो सम्यग्ज्ञान कला है। छहढाला सर्ग 3/2 पुरुषार्थसिद्धयुपाय - 35 15. हरिवंशपुराण का सांस्कृतिक अध्ययन - डॉ० पी०सी० जैन - पृ० 151 16. हरिवंशपुराण सर्ग 10/145 - पृ० 196 17. जीवकरण्ड - श्लोक 314-316 . 18. हरिवंशपुराण सर्ग 10/152 - पृ० 196 19. हरिवंशपुराण सर्ग 10/156 - पृ० 197 हरिवंशपुराण सर्ग 58/122 - पृ० 673 21. हरिवंशपुराण सर्ग 58/300 - पृ० 698 22. सम्यग्दण्डो वपुषो सम्यग्दण्डस्तथा च वचनस्य। मनसः सम्यग्दण्डो गुप्तिनां त्रितयभवगम्यम्॥ पुरुषार्थसिद्धयुपाय - 202 23. सम्यग्गमनागमनं सम्यग्भासां तथैषणा सम्यक् / सम्यग्ग्रहनिक्षेपो व्युत्सर्ग सम्यगिति समिति॥ पुरुषार्थसिद्धयुपाय - 203 24. हरिवंशपुराण सर्ग 58/301-302 - पृ० 692 25. हरिवंशपुराण सर्ग 58/304 - पृ० 692