________________ 146. हरिवंशपुराण - सर्ग 44/36 - पृ० 535 147. हरिवंशपुराण - सर्ग 44/42 - पृ० 536 148. हरिवंशपुराण - सर्ग 44/48 - पृ० 536 149. सूरसागर पद सं० 4808 - पृ० 1511 * 150. सूरसागर पद सं० 4808 - पृ० 1512 151. सूरसागर पद सं० 4815 - पृ० 1518 152. हरिवंशपुराण - सर्ग 47/58 - पृ० 561 १५३-अ. हरिवंशपुराण - सर्ग 47/133 व 135 - पृ० 567 ब. श्रीमद् भगवत 60-70 154. ततो भीष्मः शान्तवो बुद्ध्या निश्चित्य वीर्यवान्। अमन्यत तदा कृष्णमहणीयतमं भुवि॥ महाभारत 2/36-27 155. सूरसागर पद सं० 4838 - पृ० 1532 156. सूरसागर पद सं० 4840 - पृ० 1534 157. सूरसागर पद सं० 4841 - पृ० 1534 158. हरिवंशपुराण - सर्ग 42 / 81-82 - पृ० 510 159. हरिवंशपुराण - सर्ग 42/94-95 - पृ० 511 160. सूरसागर पद सं० 4845 - पृ० 1537 161. सूरसागर पद सं० 4846 - पृ० 1537 162. सूरसागर पद सं० 4850 - पृ० 1538 163. सूरसागर पद सं० 4854 - पृ० 1539 164. सूरसागर पद सं० 4857 - पृ० 1540 165. सूरसागर पद सं० 4859 - पृ० 1541 166. सूरसागर पद सं० 236 - पृ० 77 167. सूरसागर पद सं० 236 - पृ० 77 168. सूरसागर पद सं० 241 169. सूरसागर पद सं० 268 170. सूरसागर पद सं० 273 - पृ० 88 171. सूरसागर पद सं० 267 - पृ० 83 172. हरिवंशपुराण - सर्ग 46/34-35 - पृ० 553 173. हरिवंशपुराण - सर्ग 47/4 - पृ० 557 174. हरिवंशपुराण - सर्ग 47/10-14 - पृ० 558