________________ 116. सूर की झाँकी - डॉ० सत्येन्द्र - पृ० 171 117. सूरसागर पद सं० 4177 - पृ० 1338 118. सूरसागर पद सं० 4107 - पृ० 1320 119. सूरसागर पद सं० 4718 - पृ० 1479 120. सूरसागर पद सं० 4777 - पृ० 1494 121. "सूरदास" - आचार्य रामचन्द्र शुक्ल - पृ० 122. सूरसागर पद सं० 4164 - पृ० 1498 123. हरिवंशपुराण - सर्ग 36/71 - पृ० 469 124. हरिवंशपुराण - सर्ग 36/73 - पृ० 470 125. सूरसागर पद सं० 4782 - पृ० 1497 126. श्रीमद् भागवत पुराण 10/52 127. हरिवंशपुराण - सर्ग 40/43 128. हरिवंशपुराण - सर्ग 41/33 से 35 - पृ० 501 129. हरिवंशपुराण - सर्ग 41/36 से 37 - पृ० 501 130. सूरसागर पद सं० 4788 - पृ० 1500 131. सूरसागर पद सं० 4791 - पृ० 1501 132. सूरसागर पद सं० 4801 - पृ० 1503 133. सूरसागर पद सं० 4803 - पृ० 1504 134. हरिवंशपुराण - सर्ग 42/45-48 - पृ० 507 135. हरिवंशपुराण - सर्ग 42/60-63 - पृ० 508 136. हरिवंशपुराण - सर्ग 42/92-93 - पृ० 511 137. नोट :- श्री कृष्ण द्वारा 'शिशुपाल वध' प्रसंग को हम आगे के पृष्ठों में उल्लेखित करेंगे अतः यहाँ इसका मात्र संकेत दिया है। 138. सूरसागर पद सं० 4810 - पृ० 1512-13 139. सूरसागर पंद सं० 4812 - पृ० 1515 140. सूरसागर पद सं० 4829 - पृ० 1527 141. सूरसागर पद सं० 4813 - पृ० 1517 142. हरिवंशपुराण - सर्ग 36/61 - पृ० 468 143. हरिवंशपुराण - सर्ग 44/16 - पृ० 534 144. हरिवंशपुराण - सर्ग 44/23 - पृ० 534 145. हरिवंशपुराण - सर्ग 44/30 - पृ० 535 =2058 - -