________________ राजा सो कह्यौ वचन उचारि॥ सुरज प्रभु वैकुंठ सिधारे। जिन हमरे सब काज सँवारे॥१९२ इस प्रकार सूरसागर में श्री कृष्ण के परमधाम गमन के प्रसंग का सूर ने मात्र संकेत कर इसे संक्षेप में वर्णित किया है, जो भागवतानुसार है। हरिवंशपुराण में आचार्य जिनसेन ने इस प्रसंग को सविस्तार स्वरूप में निरूपित किया है जो वैष्णव परम्परा से भिन्न है। ___ द्वारिका के जल जाने के पश्रात् जन बलदेव व वसुदेव नगर से बाहर निकल गये तब वे पाण्डवों का लक्ष्य लेकर दक्षिण दिशा में चलने लगे। मार्ग में वे हस्तवज्र नगर पहुंचे। वहाँ श्री कृष्ण तो उद्यान में ठहर गये और बलदेव संकेत कर वस्त्र से अपना समस्त शरीर ढककर अन्नपानी लेने के लिए नगर में प्रविष्ट हुए। नगर का राजा अच्छदन्त धृतराष्ट्र के वंश का था। वह यादवों के छिद्र ढूँढने वाला था। उसे जब बलराम का मालूम हुआ तो उसने उनका वध करने के लिए समस्त सेना को भेज दिया। नगर के द्वार पर बड़ी सेना को देखकर बलदेव ने संकेत से श्री कृष्ण को बुलाया। दोनों भाईयों ने अपने पराक्रम से चतुरंग सेना को मार भगाया। तदनन्तर अन्न-जल लेकर वन में गये एवं विश्राम के बाद वे अन्तस्थ दुर्गम कोशाम्ब नामक भयंकर वन में प्रविष्ट हुए। . उस वन में भयंकर गर्मी थी, ग्रीष्म के उग्र संताप से वायु असह्य थी। श्री कृष्ण ने इस पर बलदेव से कहा कि मैं प्यास से व्याकुल हूँ, मेरे ओठ व तालु सूख गये हैं , अतः मेरी तृष्णा को दूर करने वाला शीतल जल मुझे पिलाइए। श्री कृष्ण को वहीं बैठाकर बलदेव जी सरोवर से पानी लेने गये। श्री कृष्ण एक वृक्ष की सघन छाया में पहुँचे तथा वहाँ कोमल वस्त्र से शरीर को ढककर मृदु मृत्तिका से युक्त पृथ्वी पर सो गये। अपनी थकान को दूर करने के लिए उन्होंने अपने बायें घुटने पर दाहिना पाँव रखकर क्षण भर इस प्रकार से विश्राम करने की सोची। उधर जरत्कुमार जो श्री कृष्ण का छोटा भाई था, वह इस भविष्यवाणी से कि तुम्हारे हाथ से तुम्हारे भाई श्री कृष्ण की मृत्यु होगी, उस विकट वन में चला आया था। उसने जब श्री कृष्ण के वस्त्र के छोर को वायु से हिलते देखा तो भ्रांतिवश उसे मृग समझकर तीक्ष्ण बाण मारा, जिससे श्री कृष्ण का पैर विंध गया। पदतल के विद्ध होते ही श्री कृष्ण सहसा उठ बैठे। जरत्कुमार तुरन्त वहाँ आया। जब उसने यह देखा कि ये तो श्री कृष्ण हैं तब वह तुरंत अपने धनुष बाण छोड़ उनके चरणों में गिर पड़ा। वह महाशोकं करने लगा। इस पर श्री कृष्ण ने उसे शांत किया तथा कहा कि बड़े भाई बलराम पानी लेने गये हैं। जब तक वे नहीं आते तब तक तुम शीघ्र चले जाओ। उन्होंने कहा कि तुम जाओ तथा पाण्डवों से यह समाचार कह सुनाओ एवं पहचान के लिए D1998