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________________ हरिवंशपुराण में भी बालकृष्ण की नटखटता का वर्णन मिलता है। किसी दिन उपद्रव की / अधिकता के कारण यशोदा ने कृष्ण को कसकर ऊखल से बाँध दिया। उसी दिन कंस की दो देवियाँ यमल तथा अर्जुन उन्हें पीड़ा पहुँचाने के लिए वहाँ आई परन्तु कृष्ण ने उस दशा में भी दोनों देवियों को मार भगाया। यशोदया दामगुणेन जातु यदृच्छयोदूखलबद्धपादः। निपीडयन्तौ रिपुदेवतागौ न्यपातयत्तौ यमलार्जुनौ सः॥३° 35-45 समीक्षा : सूरसागर में यमलार्जुन नामक वृक्षों को कुबेर के दो पुत्र माना है। ये शाप वश वृक्ष बन गये थे। इनको बालकृष्ण ऊखल में अटकाकर भूमि पर गिरा देते हैं एवं इनका उद्धार हो जाता है। परन्तु हरिवंशपुराण में ये दो वृक्ष शत्रु की देवियाँ थी। उनके द्वारा कृष्ण को पीड़ा पहुँचाने पर कृष्ण उन्हें मार भगाते हैं। सूरसागर का यह वर्णन जितना स्वाभाविक, मार्मिक एवं हृदयग्राही बन पड़ा है, वैसा हरिवंशपुराण में नहीं। सूर का यह वर्णन सुन्दर, कल्पनाशीलता एवं भागवतानुसार है जबकि पुराणकार ने इसे संक्षेप में निरूपित कर कृष्ण-कथा प्रवाह में इसका संकेत मात्र किया है। प्रतीकात्मकता : श्रीमद्भागवत पुराण में ऊखल बन्धन की प्रतीकात्मकता के ऊपर सुन्दर विचार प्रस्तुत किया गया है कि इस लीला में भगवान् की भक्ति वश्यता का पता चलता है। विश्व जिस भगवान् के विधान, मर्यादा तथा माया से बंधा हुआ है उसे भगवान् का स्वयं ही रस्सी से बंध जाना इस बात का द्योतक है कि भगवान् स्वयं ही हमेशा भक्त के वश में रहते हैं।३१ गोचारण प्रसंग : श्री कृष्ण के जीवन में गोचारण का पर्याप्त महत्त्व रहा है। सूरदासजी ने अपनी मौलिकता के आधार पर इस संदर्भ में श्री कृष्ण का गोचारण करने जाना, मित्रों के साथ खेलना, छाक आरोगना, गोधूलि बेला में पुनः घर आना इत्यादि अनेक भावपूर्ण चित्र उपस्थित किये हैं। यह सभी प्रसंग भागवतानुसार हैं परन्तु सूरसागर में वर्णित ये प्रसंग. भागवत से भी सुन्दर बन पड़े हैं। सूर ने इन, प्रसंगों में क्रमबद्धता का निर्वाह किया है। सूर के "आज मै गाइ चरावन जेहों" पद से यह प्रसंग आरम्भ होता है। माँ यशोदा कृष्ण को रोकने का प्रयास करती है परन्तु बाल कन्हैया अपनी हठ को पूरी कर छोड़ते हैं। सूर का यह वर्णन स्वाभाविक जान पड़ता है। इस वर्णन में कृष्ण के लौकिक रूप के साथ उनकी अलौकिकता का भी सुन्दर समावेश हुआ है, जहाँ वे जंगलों में अनेक राक्षसों का दमन करते हैं।
SR No.004299
Book TitleJinsenacharya krut Harivansh Puran aur Sursagar me Shreekrishna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdayram Vaishnav
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2003
Total Pages412
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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