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________________ जैन सम्प्रदायों के ऐतिहासिक स्रोत : 41 माओं के नीचे गण, कुल आदि के जो विवरण उल्लिखित हैं, वे कल्पसूत्र की पट्टावली के अनुसार ही हैं। जैन मूर्तियों के इस समग्र विवेचन से हमें यह ज्ञात होता है कि जैनधर्म में श्वेताम्बर, दिगम्बर और यापनीय सम्प्रदाय का जो भेद हुआ, वह वस्तुतः एक क्रमिक परिवर्तन का हो परिणाम है / अतः हम कह सकते हैं कि जैन मूर्तियां भी जैन सम्प्रदायों एवं उपसम्प्रदायों के उद्भव एवं विकास के अध्ययन के महत्त्वपूर्ण साधन हैं। जैन गुफाएं एवं मन्दिर : प्राचीन काल से ही जैन मुनि नगर-ग्रामादि के निकट स्थित पर्वतों, वनों एवं गुफाओं में निवास करते थे क्योंकि ऐसे स्थल मुनियों की साधना में सहायक होते हैं / प्रारम्भ में मुनियों द्वारा प्राकृतिक गुफाओं के शिलापट्टों का उपयोग ही निवास एवं शयन हेतु किया जाता था, किन्तु शनैःशनैः इन गुफाओं के आकार एवं विस्तार आदि में वृद्धि की गयी और इस प्रकार मानव निर्मित गुफायें अस्तित्व में आयीं। भारत में सबसे प्राचीन एवं प्रसिद्ध जैन गुफाएँ बराबर एवं नागार्जुनी की पहाड़ियों पर स्थित हैं। बराबर पहाड़ी में चार तथा नागार्जुनी पहाड़ी में तीन गुफाएं हैं / बराबर की गुफाओं का निर्माण सम्राट अशोक ने तथा नागार्जुनी की गुफाओं का निर्माण उसके पौत्र दशरथ ने करवाया था।' बराबर की गुफाओं में ब्राह्मी लिपि में अंकित ( 250 ई० पू० के ) लेख मिलते हैं जिनसे ज्ञात होता है कि सम्राट अशोक ने अपने राज्याभिषेक के पश्चात् इन गुफाओं को आजीविकों को दान में दिया था। नागार्जुन की पहाड़ी पर जो गुफाएं हैं, उन पर उत्कीर्ण लेखों से ज्ञात होता है कि उनका निर्माण 214 ई० पू० में हुआ था / 2 ई० पू० तीसरी शती की मौर्यकालीन इन गुफाओं के पश्चात् उदयगिरि तथा खण्डगिरि पर्वतों को गुफाएँ भी पर्याप्त रूप से प्राचीन मानी गई हैं। इन गुफाओं में प्राप्त अभिलेखों से ये गुफाएं ई० पू० द्वितीय शती की सिद्ध होती हैं। उदयगिरि को 'हत्योगुम्फा' गुफा में प्राकृत भाषा में एक सुविस्तृत लेख उत्कीर्ण है, जिसमें कलिंग नरेश सम्राट खारवेल का बाल्यकाल से लेकर 1. भारतीय संस्कृति में जैन धर्म का योगदान, पृ० 306 2. नामदेव, डा० शिवकुमार-भारत में प्राचीन जैन गुफाएँ, श्रमण, अक्टूबर . 1976 . .
SR No.004297
Book TitleJain Dharm ke Sampraday
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSuresh Sisodiya
PublisherAgam Ahimsa Samta Evam Prakrit Samsthan
Publication Year1994
Total Pages258
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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