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________________ 118 : जैनधर्म के सम्प्रदाय कहा है-निर्ग्रन्थ श्रमण-श्रमणियों को कूर्चकों के साथ किसी भी प्रकार के वस्त्रादि के लेन-देन का सम्बन्ध नहीं रखना चाहिए।' ___इस संघ के कूर्चक नाम को लेकर विद्वानों में मतभेद है। पं० नाथुरामजी प्रेमी को मान्यता है कि जैन साधुओं का कोई ऐसा वर्ग रहा होगा जो दाढ़ी-मूछ आदि रखता होगा / इसी कारण वह वर्ग कूर्चक संघ कहलाया होगा। किन्तु प्रो० सागरमल जैन प्रेमीजी के इस मन्तव्य से सहमत नहीं है। इस सम्बन्ध में प्रो. जैन का कहना है कि प्रेमी जी के निष्कर्ष से सहमत होने में कठिनाई आती है, क्योंकि केशलोच जैन श्रमण संघ का एक अपरिहार्य नियम रहा है और उस नियम को भंग करके जैन श्रमणों का कोई वर्ग दाढ़ो-मूंछ रखने लगा हो, यह कथन उचित प्रतीत नहीं होता। प्रो० जैन के अनुसार कूर्चक संघ का नामकरण विशिष्ट प्रकार का रजोहरण (कूचि) रखने के आधार पर हुआ होगा। इस संघ के नामकरण को लेकर विद्वानों के विविध मतों को देखते हुए निष्कर्ष रूप में कुछ भी नहीं कहा जा सकता है, किन्तु हमें प्रो० जैन का कथन इसलिए उचित प्रतीत होता है कि जैन परम्परा में श्रमणों द्वारा धारण को जाने वाली पिच्छी/रजोहरण के स्वरूप एवं प्रकार के आधार पर ही गोपिच्छिक एवं निम्पिच्छिक संघों का भी नामकरण हुआ है। इसलिए संभवतः (कूचि) रजोहरण रखने के कारण हो श्रमणों के एक वर्ग का नाम कूर्चक संघ पड़ा होगा। जैन धर्म के विभिन्न सम्प्रदायों से सम्बन्धित इस विवेचन से स्पष्ट होता है कि वी० नि० सं० 606 अथवा 609 में जैन धर्म श्वेताम्बर और दिगम्बर इन दो परम्पराओं में स्पष्ट रूप से विभाजित हो गया था। तत्पश्चात् पांचवीं शताब्दी के लगभग जैन धर्म में यापनीय सम्प्रदाय का उद्भव हुआ, जिसने श्वेताम्बर और दिगम्बर सम्प्रदाय के मध्य समन्वय का प्रयास किया था। 1. "कावलिए य भिक्खू सुइवादी कुच्चिए अवेसत्थी / वाणियग तरूण संसठ्ठ मेहुणे मोहए चैव / " -बृहत्कल्पसूत्र-लघुभाष्य, 2823, उद्धृत -जैन धर्म का यापनीय सम्प्रदाय, पृ० 48-49 2. प्रेमी, नाथुराम-जैन साहित्य और इतिहास, द्वितीय संस्करण, पृ० 558-562 3. जैन धर्म का यापनीय सम्प्रदाय, पृ० 48-54
SR No.004297
Book TitleJain Dharm ke Sampraday
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSuresh Sisodiya
PublisherAgam Ahimsa Samta Evam Prakrit Samsthan
Publication Year1994
Total Pages258
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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