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________________ भूमिका : 19 1. चतुःशरण- प्रकाशक-तत्व विवेचक सभा, वर्ष 1901, भाषा- प्राकृत, गुजराती। 2.चतुःशरण- प्रकाशक-देवचन्द लालभाई पुस्तकोद्धार संघ, बम्बई, भाषा-प्राकृत, संस्कृत। 3.चतुःशरणप्रकाशक-हीरालाल हंसराज, जामनगर, भाषा-प्राकृत, गुजराती। 4. चतुःशरण-प्रकाशक-मनमोहन यश स्मारक, वर्ष 1950, भाषा - प्राकृत, हिन्दी तथा वर्ष 1934, भाषा-प्राकृत / कुशलानुबंधी चतुःशरण एवं चतुःशरण प्रकीर्णक के कर्ता प्रकीर्णकों में चन्द्रकवैद्यक, तन्दुलवैचारिक, महाप्रत्याख्यान, मरण-विभक्ति, गच्छाचार, संस्तारक आदि अनेक प्रकीर्णकों के रचयिता के नामों का कहीं कोई निर्देश नहीं मिलता है। प्रकीर्णक ग्रन्थों के रचयिताओं के संदर्भ में मात्र देवेन्द्रस्तव और ज्योतिषकरण्डक ये दो ग्रन्थ ही ऐसे हैं जिनमें स्पष्ट रूप से इनके रचयिताओं के नामोल्लेख उपलब्ध हैं।' परवर्ती प्रकीर्णकों में भक्तपरिज्ञा, कुशलानुबंधी अध्ययन, चतुःशरण और आराधनापताका ये तीन प्रकीर्णक ही ऐसे हैं जिनमें इनके रचयिता वीरभद्र का उल्लेख मिलता है। भक्तपरिज्ञा और कुशलानुबंधी चतुःशरण प्रकीर्णक में लेखक का स्पष्ट नामोल्लेख हुआ है। यद्यपि आराधनापताका प्रकीर्णक में लेखक का स्पष्ट नामोल्लेख तो नहीं हुआ है तथापि इस ग्रन्थ की गाथा 51 में यह कहकर कि आराधना विधि का वर्णन मैंने पहले भक्तपरिज्ञा में कर दिया है, यह स्पष्ट करता है कि यह ग्रन्थ भी उन्हीं वीरभद्र के द्वारा रचित है। इस प्रकार कुशलानुबंधी प्रकीर्णक के रचयिता के रूप में हमें वीरभद्र का जो स्पष्ट नामोल्लेख मिलता है, वस्तुतः वे वीरभद्र 1.(क) देविंदत्थओ-पइण्णयसुत्ताई, भाग 1, गाथा 310 (ख) जोइसकरण्डगं पइण्णयं, वही, भाग 1, गाथा 405 2.(क) भत्तपइण्णापइण्णयं, वही, भाग 1, गाथा 172 (ख) कुशलानुबन्धी अज्जयणं “चउसरणपइण्णयं,” वही, भाग1, गाथा 63 (ग) सिरिवीरभद्धायरियाविरइया “आराहणापडाया" वही, भाग 2, गाथा 51 3. आराहणविहि पुण भत्तपरिण्णाइ वण्णिमो पुव्वं / उस्सणं स च्चेव उ सेसाण वि वण्णणा होइ / / -सिरिवीरभद्धारियाविरडया "आराहणापडाया" वही. भाग 1 गाथा 51
SR No.004296
Book TitleChausaran Painnayam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSuresh Sisodiya, Manmal Kudal
PublisherAgam Ahimsa Samta Evam Prakrit Samsthan
Publication Year1999
Total Pages74
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_chatusharan
File Size6 MB
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