________________ 112 पुरातनाचार्यसंगृहीत [अथ ग्रन्थलेखनप्रशस्तिः / भीमट्रीचैत्रगच्छेशा श्रीधनेश्वरसूरयः / ततः क्रमागतानौमि श्रीभुवनेन्दुसद्गुरून् // 1 // देवभद्रगणीशानां शिष्याः श्रीगच्छनायकाः। विजयचन्द्रसूरीन्द्रास्तपसा घोतिताम्बराः॥२॥ वनसेन-पनचन्द्र-खेमकीर्तिस्तथा गुरुः / हेमकुम्भमुनीन्द्रश्च श्रीयशोभद्रसरिराट् // 3 // श्रीरताकरसूरीणां नान्ना नश्यति कल्मषम् / मुनिशेखरयोगीन्द्रं धर्मदेवगुरुं वरम् // 4 // ज्ञानचन्द्राभयसिंहसूरि तपापरायणम् / हेमचन्द्रप्रभु पन्दे गुणश्रेणिविभूषितम् // 5 // भविकजनसमूहै सेव्यपादारविन्दम्, ___रविकिरणसकासं चन्द्रमाकारसौम्यम् / भवजलनिधिनावं दुःखपाशपणाशम्, जयतिलकगुरुं श्रीसूरिराजं नमामि // 6 // धर्मशेवर-माणिक्यसूरि माणिक्यसंनिभम् / / रत्नसागरसूरीन्द्रं रत्नसिंहगुरुं तथा // 7 // उपाध्यायपदे श्रीमन्मुनिरत्नगणीश्वरान् / नौमि पण्डितसाधूनां क्रमाम्बुजमहं सदा // 8 // श्रीगच्छेशक्रमाम्भोजसेवने भ्रमरास्सदा।। दयावर्द्धननामानः पण्डितास्सपरिच्छदाः // 9 // वेद-रस-वेर्द-चन्द्र गते विक्रमवत्सरे। भव्यलोकप्रबोधाय स्थिता देवलपाटके // 10 // -युग्मम् / तेषामादेशतः श्राद्धैः श्रीकुमारनरेशितुः / वृत्तं लिखापितं रम्यं गच्छोपकृतिहेतवे // 11 // पावन्मेरुर्महाशैलो यावचन्द्र-दिवाकरौ। भूयात् तावत् पुण्यवृद्धयै संघे चरित्रपुस्तकम् // 12 // . .