________________ कुमारपालप्रबोधप्रबन्ध 350. अब राजा श्रीजिनोक्तनवतत्त्वान्यपृच्छत् / श्रीसूरयः प्राहुः-तत्रेदं जीवखरूपर२२६. जीवो अणाइनिहाणो अविणासी अक्खओ धुवो निचो। वट्ठयाइ निचो परियायगुणेहि अ अणियो / कालो जहा अणाई अविणासी होइ तिसु वि समएसु / तह जीवो वि अणाई अविणासी तिसुवि कालेसु॥ अक्खयमणंतमउलं जह गयणं होइ तिसु वि कालेसु / तह जीवो अविणासी अवडिओ तिसु वि कालेसु॥ गयणं जहा अरूवी अवगाहगुणेहिं घिप्पए तं तु / जीवो तहा अरूवी नाणाइगुणेहिं घितयो॥ .. अविणासी खलु जीवो विगारणुवलंभओ जहागासं / उवलब्भंति वियारा कुंभाइविणासिदवाणं // देहिंदियाइरित्तो आया खल्लु गम्भगाहपओंगे य। / संडासा अयपिंडा अइगाराइ व विन्नेओ॥ देहिंदियाइरित्ते आया खलु तदुवलद्धअत्थाणं / तधिगमे विसरणओं गेहगवक्खेहिं पुरिसु च // . ननु इंदियाइ उवलद्धिमंतिविगएसु विसयसंभरणा / जह गेहगवक्खेहिं जो अणुसरिया स उवलद्धा // अणिदियगुणं जीवं दुन्नेयं मंसचक्खुणा। सिद्धा पासंति सबन्नू नाणसिद्धा ण साहूणो॥ जो चिंतेड सरीरे नत्थि अहं स एव होड जीव ति। नहु जीवंमि असंते संसयमुप्पायओ अनो॥ जीवस्स एस धम्मो जा ईहा अस्थि नत्थि वा जीयो / थाणुमणुस्साणुगया जह ईहा देवदत्तस्स // सिद्धं जीवस्स अत्थित्तं सहादेवाणुमीयए। . .. नासओं भुवि भावस्स सदो हवइ केवलो॥ अत्थि त्ति निवियप्पो जीवो नियमाओ सहओं सिद्धी / कम्हा सुद्धा पयत्ता घड-खरसिंगाणुमाणाओं // मिच्छा भवेउ सवत्था जे केई पारलोइया / - कत्ता चेवोवभुत्ता य जइ जीवो न विजई // पाणिदया तव नियमा बंभं दिक्खा य इंदियनिरोहो / सवं निरत्ययं एवं जइ जीवो न विजई॥ छउमत्थअणुवलंभा तहेव सवन्नुवयणओ घेव / लोगाइपसिद्धीओं मुत्तो जीव त्ति नायवो // मुत्तो अणिदियत्तो खणिओ नवि होइ जाइसंभरणा / थलअहिलासा य तहा अमओ नउ मिम्मउवघरों।