________________ व्यसनसमुद्देशः 81 सूचित करने वाले ग्रन्थों में वर्णित उपाख्यानों के सुनने से, तथा योगी एवं साधु पुरुषों के सत्संग से दूर करे / __ योगपुरुष का लक्षण(परचित्तानुकूल्येन तदभिलषितेषु उपायेन विरक्तिहेतवो योगपुरुषाः // 4 // दूसरे की चित्तवृत्ति को अपने अनुकूल बनाते हुए युक्ति के साथ जो दूसरे के अत्यन्त अभीष्ट वस्तुओं के प्रति उसका विराग उत्पन्न कर सकें उनउन व्यसनों से उसका मोह दूर कर सकें वे योग पुरुष हैं।) आहार्य व्यसन को दूर करने के उपाय(शिष्ट-संसर्गदुर्जनासंसर्गाभ्यां पुरातनमहापुरुषचरितोत्थिताभिश्च कथाभिराहार्य व्यसनं प्रतिबध्नीयात् || 5) पुरुष अपने आहार्य व्यसनों को सत्पुरुषों की संगति करके और दुष्ट पुरुषों का संसर्ग त्यागकर तथा प्राचीन महापुरुषों के चरित्र से सम्बद्ध कथाओं से दूर करे। ___अठारह प्रकार के दुर्व्यसनों का क्रमशः उल्लेख और उनके दोष आदि का चर्चा(नियमतिभजमाने भवत्यवश्यं तृतीया प्रकृतिः // 6 // ) स्त्री का अत्यधिक सेवन करने से मनुष्य अवश्य ही नपुंसक हो जाता है / . (सौम्यधातुक्षयः सर्वधातुक्षयं करोति // 7 // . सौम्य धातु अर्थात् शुक्र ( वीर्य ) नाश से शरीर की अन्य समस्त धातुओं का नाश हो जाता है। पानशौण्डश्चित्तभ्रमान्मातरमप्यभिगच्छति // 8 // ___ मद्यपान करनेवाला व्यक्ति चित्त भ्रम के कारण अपनी माता से भी समागम कर बैठता है। . (मृगयासक्तिः स्तेन व्याल-द्विषद्-दायादानामामिषं पुरुषं करोति // 6 // शिकार खेलने में अत्यधिक आसक्त होने से शिकार खेलने वाला व्यक्ति किसी न किसी दिन चोर सर्प और विद्वेषी दायादों ( पट्टीदार बन्धु बान्धव) का शिकार बन जाता है। जास्त्यकृत्यं घृतासक्तस्य, मातर्यपि हि मृतायां दीव्यत्येव कितवः // 11 // जुए में आसक्त व्यक्ति के लिये कोई भी कार्य अकार्य नहीं है। घर में मां भी मरी पड़ी हो तो जुआरी जुआ खेलता ही है। (पिशुनः सर्वेषामविश्वासं जनयति // 12 / 6 नी पशुनः सर्वेषामविश्वास