________________ चारसमुद्देशः में कुशल है ? अर्थात् धनी के पास रात का पहरेदार न हो और राजा के पास गुप्तचर न हो तो दोनों की कुशल नहीं है। . गुप्तचरों के भेद और उनके पृथक् पृथक् लक्षण(कार्पटिकोदास्थितिक गृहपतिक वैदोहक-तापस-कितव-किरात यमपट्टिकाहितुण्डिक शौण्डिक-शौभिक-पाटच्चर विट-विदूषक पीठमर्दक-नव-नकगायकवादक-वाग्जीवक-गणक-शाकुनिक भिषगन्द्रजालिक मिचिक-सूदा. रालिक संवाहिक-तीक्ष्ण-कर-रसद-जड-मूक-बधिरान्धच्छमावस्थाथियायि भेदेनावसपवर्गः / / 8 / / कापंटिक ( छात्रवेष में गुप्तचर ) उदास्थित ( अध्यापक वेष में गुप्तचर ) पटवारी, महाजन, तपस्वी, जुआ खेलने वाला, किरात, घर पर घूमकर यमलोक यातना आदि के चित्र दिखाने वाला; मदारी, कलवार, बहरूपिया, घोर अथवा बन्दी का वेष रखनेवाला, व्यसनी पुरुषों का संचावि वाहक, विदूषक, कामशास्त्री, नट, नर्सक, गायक, वादक, कथावाचक, ज्योतिषी, सानिया, वैद्य, जादूगर, नैमित्तिक, रसोईदार, विचित्र-विचिक भोजन बनाने वाला, मालिश करने वाला, तीखे, रूखे, आलसी, जड़, मूमे, बहिरे बाये आदि के कपट वेष में स्थायी और घर भेद से उक्त प्रकार के गुप्तचर होते हैं / परमर्मज्ञः प्रगल्भश्छात्रः कार्पटिकः // 6 // शत्र के गूढ रहस्य को जाननेवाला धृष्ट छात्र ‘कार्पटिक' है। (यं कंचन समयमास्थाय प्रतिपन्नाचार्याभिषेकः प्रभूतान्तेवासी प्रज्ञातिशययुक्तो राजपरिकल्पितवृत्तिरुदास्थितः // 10 // इच्छानुसार किसी भी सम्प्रदाय का आश्रय लेकर आचार्य पद पर प्रतिष्ठित होकर बहुत से शिष्यों को पढ़ाने वाला तथा तीक्ष्ण बुद्धि सम्पन्न और राजा के द्वारा निश्चित जीविकावाला व्यक्ति 'उदास्थित' है।। गृहपतिवैदेहिकौ ग्रामकूटश्रेष्टिनौ // 11 // गांव के मुखिया ( पटवारी ) और सूद पर रुपया बाटने वाले गांव के महाजन 'गृहपति' और 'वैदेहिक' है / / (बाह्यव्रतविद्याम्यां लोकदंभहेतुस्तापसः // 12 // दिखावटी व्रत और विद्या के नाम पर लोगों को ठगनेवाला 'तापस' संशक गुप्तचर है। 'कितवो द्यूतकारः // 13 // जुआ खेलाने वाले का नाम कित्तव है।) (अल्पाखिलशरीरावयवः किरातः // 14 //