________________ नीतिवाक्यामृतम् . 74 के बारा, दोनों ओर से वेतन पाने वाले दूतों के द्वारा अथवा उसके शील और माचार बादि का आचरण करने वालों के द्वारा अपने वश में करे। .' शत्र के लिये पत्र भेजने का प्रकारचत्वारि वेष्टनानि खगमुद्रा च प्रतिपक्षलेखानाम् // 23 / / शत्रु के लिये लेखों-पत्र आदि को चार वेष्टनों में लपेटे और ऊपर से अपने तलवार की मुद्रा लगा दे। [इति दूत समुदेशः] 14. चारसमुद्देशः गुप्तचरों का महत्त्वस्वपरमण्डलकार्याकार्यावलोकने चाराश्चक्षुषि क्षितिपतीनाम् // 1 // अपने और शत्रु के मण्डल ( जिले ) का भला और बुरा काम देखने के लिये राजाबों के गुप्तचर ही उनके नेत्र हैं। गुप्तचर के गुण(अलौल्यममान्द्यममृषाभाषित्वमभ्यूहकत्वं चेति चारगुणाः॥२॥ चाञ्चल्य न होना, आलस्य न होना, झूठ न बोलना और शत्रु के मर्मज्ञान की क्षमता का होना, ये गुप्तचर के गुण हैं।) . गुप्तचर सम्बन्धी अन्य विचार(तुष्टिदानमेव चाराणां वेतनम् / / 3 / ) सन्तुष्टि पर्यन्त पुरस्कार देना ही गुप्तचरों का वेतन है। (तेहि तमोभात् स्वामिकार्येष्वतीव त्वरन्ते // 4 // ) पुरस्कार के लोभ से वे स्वामी के कार्य को अधिक शीघ्रता के साथ करते हैं। (सन्दिग्धविषये त्रयाणामेकवाक्ये संप्रत्ययः॥५॥) ___ एक गुप्तचर की बातों से जब किसी विषय में सन्देह होता हो तो तीन गुप्तचरों क ऐकमत्य से निश्चय करना चाहिए / (अनवसो हि राजा स्वैः परैश्चातिसंधीयते // 6 // गुप्तचरहीन राजा अपने आदमियों से और शत्रुओं के द्वारा वञ्चित होता है। (किमस्त्ययामिकस्य निशि कुशलम् // 7 // जिसके पास रात को पहरा देने वाला आदमी नहीं है क्या उसकी रात