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________________ मन्त्रिसमुद्देशः इतिहास में प्रसिद्ध है कि चाणक्य ने तीक्ष्ण दूत के प्रयोग से अकेले नन्द को मार डाला था। __शत्रु के द्वारा प्रेषित वस्तु लेने के विषय में विचारशत्रुप्रहितं शासनमुपायनं च स्वैरपरीक्षितं नोपाददीत / / 15 // शत्रु के द्वारा प्रेषित आज्ञापत्र और भेट उपहार आदि को बिना अपने वंद्य आदि से परीक्षित कराये हुए ग्रहण न करे / दृष्टान्तश्रूयते हि स्पर्शविषवासिताद्भुतवस्त्रोपायनेन करहाटपतिः कैटभो वसुनामानं राजानमाशीविष-विषोपेतरत्नकरण्डकप्राभृतेन च करवालः करालं जघानेति // 16 // सुना जाता है कि स्पर्श-विष से वासित अद्भुत वस्त्र की भेंट देकर करहाट देश के राजा कंटभ ने वसु नामक राजा को तथा सर्प विष से संयुक्त रत्न की पिटारी का उपहार देकर करबाल नामक राणा ने कराल नामक राजा को मार डाला था। दूत की अवध्यता(महत्यपकारेऽपि न दूतमुपहन्यात् // 17 / / ) बहुत बड़ा अपकार करने पर भी दूत का वध न करे। (उद्धृतेष्वपि शस्त्रेषु दतमुखा वै राजानः // 18 // शस्त्र उठ जाने पर भी अर्थात् लड़ाई छिड़ जाने पर भी राजाओं की परस्पर वार्ता दुर्गों के द्वारा ही होती है। (तेषामन्त्यावसायिनोऽप्यवध्याः किमङ्ग पुनब्राह्मणः // 16 // . दूत नीच जाति का हो तब भी प्रवध्य है फिर ब्राह्मण के विषय में तो कहना ही क्या है ? (वध्याभावाद् दूताः सर्व जल्पन्ति // 20 // ) वध्य न होने के कारण दूत कहने न कहने योग्य सभी बातों को कहता है। (कः सुधीर्दूतवचनात् परोत्कर्ष स्वात्मापकर्ष च मन्येत / / 21 / / कौन बुद्धिमान दूत के कहने मात्र से शत्रुको उत्कृष्टता और अपनी हीनता मानता है ? शत्रु दूत का परीक्षण - तदाशयरहस्यपरिज्ञानार्थं परदूतः स्त्रीभिरुभयवेतनैः तद्गुणाचारशीलानुवर्तिमिर्वा प्रणिघातव्यः / / 22 / / / शत्रु के आशय और गुप्त भेदों को जानने के लिये शत्रु के दूत को स्त्रियों
SR No.004293
Book TitleNitivakyamrutam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSomdevsuri, Ramchandra Malviya
PublisherChaukhamba Vidyabhavan
Publication Year1972
Total Pages214
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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