SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 82
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ सेनापतिसमुद्देशः कवल गांव भर के लिये शुर आदमी का गरजना चिल्लानाः शूद्रों और स्त्रियों को ही भयभीत करने वाला होता है अर्थात् जो वस्तुतः शूर नहीं होता उससे चतुर पुरुष भयभीत नहीं होते / (स विभवो मनुष्याणां यः परोपभोग्यः // 52 // मनुष्य का वही धन धन है जो दूसरों के उपभोग में आवे। / (स ननु व्याधिर्यः स्वस्यैवोपभोग्यः / / 53 / वह धन निश्चय एफ व्याधि के समान है जो केवल अपने भोग के योग्य हो। __स किं गुरुः पिता सुहृद्वा योऽभ्यसूयागर्भ बहुषु दोषं प्रकाशयन् शिक्षते / / 54 / / जो अपने शिष्य, पुत्र अथवा मित्र के दोषों की निन्दा करते हुए बहुतों के प्रकाश में लावे और तब शिष्यादि को शिक्षा देना चाहे वह गुरु, पिता और मित्र निन्दनीय है। (स किं प्रभुर्यश्चिरसेवकेप्वेकमप्यपराएं न सहते // 55 // ).... वह स्वामी निन्दनीय है जो अपने बहुत दिनों के सेवक का एक भी अपराध न क्षमाकर सके। [इति पुरोहित समुद्देशः] 12. सेनापति समुद्देश सेनापति के गुणों का वर्णन(अभिजनाचारप्रज्ञानुरागसत्यशौचशौर्यसम्पन्नः, प्रभाववान बहुबान्धवपरिवारो निखिलनयोपायप्रयोगनिपुणः समभ्यस्तसमस्तवाहनायुधयुद्धलिपिभाषात्मपरस्थितिः सकलतन्त्रसामन्ताभिमतः सामामिकाभिरामिकाकारशरीरो भर्तुरभ्युदयदेशहितवृत्तिषु निर्विकल्पः स्वामि. नात्मवन्मानार्थप्रतिपत्तिराजचिह्नः संभावितः सर्वक्लेशायाससहः स्वैः परैश्चाप्रधृष्यप्रकृतिरिति सेनापतिगुणाः // 1 // - सेनापति के निम्नलिखित गुण हैं। कुलीन, सदाचारी, बुद्धिमान, अनुरागी, सत्यवादी, शुचिता और शूरता से सम्पन्न, प्रभावशाली, बहुत से बन्धबान्धवों वाला, समस्त नीतियों और युक्तियों के प्रयोग में निपुण, समस्त प्रकार की सवारी, अस्त्र, युद्ध, लिपि और भाषा का ज्ञानी, आत्मज्ञानी, समस्त प्रजा और सामन्तों को प्रिय लगने वाला, सङ्ग्राम के योग्य और
SR No.004293
Book TitleNitivakyamrutam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSomdevsuri, Ramchandra Malviya
PublisherChaukhamba Vidyabhavan
Publication Year1972
Total Pages214
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy