________________ मन्त्रिस्मसाः अकेला आदमी कितने कार्यों के लिये अपने को विभाजित कर सकता है ? अर्थात् एक व्यक्ति राज्य के नानाप्रकार के कार्यों की स्वयं देख-भाल नहीं कर सकता अतः सहायकों का होना आवश्यक है। दृष्टान्त(किमेकशाखस्य शाखिनो महती भवतिच्छाया // 2 // ) क्या एक शाखा वाले वृक्ष की विशाल छाया होती है। अवसर की अपेक्षा से कार्य करना अनुचित है - (कार्यकाले दुर्लभः पुरुषसमुदायः / / 83 // ) सवसर पड़ने पर अर्थात् आपत्ति आ जाने पर पुरुष समुदाय अर्थात् सहायकों का मिलना दुर्लभ होता है / अतः सहायकों का संग्रह पहले से करना चाहिए। दृष्टान्त(दीप्ते गृहे कीदृशं कूपखननम् / / 84) घर में आग लग जाने पर कुआं खोदना कहाँ तक उचित है ? धनकी अपेक्षा सहायक संग्रह की उत्तमतान धनं पुरुषसंग्रहाद् बहु मन्तव्यम् / / 85 धन को सहायक पुरुषों के संग्रह से अधिक महत्त्व नहीं देना चाहिए। अर्थात् धन बटोरने की अपेक्षा सहायकों का संग्रह अच्छा है / ___ दृष्टान्त द्वारा समर्थनसम्क्षेत्रे बीजमिव पुरुषेषूप्तं कार्य शतशः फलति / / 86 // ) अच्छे खेत में बोये गये बीज से जिस प्रकार बहुत अन्न उत्पन्न होता है उसी प्रकार अच्छे सहायकों में बांटा गया कार्य सुन्दर फल देता है। कार्य पुरुष का लक्षण/बुद्धावर्थे युद्धे च ये सहायास्ते कार्यपुरुषाः / / 87 ) बुद्धि अर्थात् सन्मति और सत्परामशं, धन तथा संग्राम में सहायता देने . वाले पुरुष कार्य पुरुष अर्थात् काम के आदमी होते हैं / समर्थन(खादनवेलायां को नाम न सहायः / / 88 // खाने के समय कौन नहीं सहायक होता है। मूर्ख के साथ मन्त्रणा का निषेधश्राद्ध इवाश्रोत्रियस्य न मन्त्रे मूखस्याधिकारोऽस्ति // 86 // श्राद्ध में जिस प्रकार अश्रोत्रिय ब्राह्मण का अधिकार नहीं है उसी प्रकार मन्त्रणा देने के लिये मूर्ख को भी अधिकार नहीं है।