________________ नीतिवाक्यामृतम् . . वणिक-स्वभाव का वर्णन(न वणिग्म्यः सन्ति परे पश्यतोहराः // 17 // ) बनियों से बढ़कर दूसरा कोई पश्यतोहर ( प्रत्यक्ष चोर ) नहीं है। कृत्रिम मूल्यवृद्धि के विषय में राजा का कर्तव्य(स्पर्द्धया मूल्यवृद्धिर्भान्डेषुराज्ञो, यथोचितं मूल्यं विक्रेतुः // 18 // आपस की लागडांट करके चीजों का मूल्य व्यापारी बढ़ा दें तो बढ़ा हुआ मूल्य राजा लेले और यथोचित मूल्य मात्र बेंचने वाले को दे। बहुमूल्य वस्तु को अल्पमूल्य में खरीदने वाले के प्रति राजा का कर्तव्य (अल्पद्रव्येण महाभाण्डं गृह्वतो मूल्याविनाशेन तद्भाण्डं राज्ञः // 16 // ___ थोड़ा ही पैसा देकर बहुमूल्य वस्तु खरीदने वाले बनिये को मूल्य मात्र देकर बिक्री की बहुमूल्य चीज राजा ले ले / / ____अन्याय की उपेक्षा से राजा को हानि अन्यायोपेक्षा सर्व विनाशयति / / 20 / / / अन्याय की उपेक्षा सब कुछ नाश कर देती है। राष्ट्र के लिये दण्ड के तुल्य व्यक्ति(चौरचरटान्वयधमनराजवल्लभाटविकतलाराक्षशालिकनियोगिग्रामकूटवाद्धेषिका हि राष्ट्रस्य कण्टकाः / / 21 // ___चोर गुप्तदूत चारण और भाट आदि, राजा के प्रेमपात्र, जंगलात विभाग के कर्मचारीगण तलार अर्थात् छोटे छोटे स्थानों की रक्षा के निमित्त नियुक्त अधिकारी व्यक्ति जैसे ग्राम चौकीदार-हल्का जमादार आदि अक्षशालिक अर्थात् जुआ खिलाकर अपनी जीविका चलाने वाले व्यक्ति, नियोगी अर्थात् अधिकारी गण, प्रामकूट अर्थात् पटव री और वार्द्धषिक व्याजखोर ये ग्यारह राष्ट्रके लिये कण्टक स्वरूप है। प्रतापवति राज्ञि निष्ठुरे सति न भवन्ति राष्ट्रकण्टकाः / / 22 / / राजा प्रतापशाली हो और शासन में कठोर हो तो ये राष्ट्र कण्टक विघ्न नहीं कर सकते। प्याज से जीवन निर्वाह करने वालों में राष्ट्र की क्षति और उसके सुझाव(अन्यायवृद्धितोवार्द्धषिकास्तन्वं देशं च नाशयन्ति / / 23 / / अन्याय की वृद्धि करके वावुषिक राष्ट्र और देश का विनाश करते हैं / (कार्याकार्ययोर्नास्ति दाक्षिण्यं वाद्धषिकानाम् / / 24 / / ) वावुषिकोंको कर्तव्य अकर्तव्य का विवेक नहीं होता। (अप्रियमप्यौषधं पीयते / / 25 // .... शरीर को स्वस्थ रखने के लिये औषध कड़वी हो तब भी पी जाती हैं।