________________ 37 वार्तासमुद्देशः ‘राजा के लिये बन्धुओं की भांति पोष्यवर्ग(वृद्धबालव्याधितक्षीणान् पशून् बान्धवानिव पोषयेत् // 6) बूढ़े, बच्चे, रोगी और जर्जर पशुओं का पोषण अपने बान्धवों की तरह करे। पशुओं की अकाल मृत्यु का कारण(अतिभारो महान् मार्गश्च पशूनामकाले मरणकारणम् // 10 // बहुत अधिक बोझ ढोना, बहुत मार्ग चलना पशुओं की अकाल मृत्यु का कारण होता है। राज्य में बाहरी माल न आने के कारणशुल्कवृद्धिर्बलात् पण्यग्रहणश्च देशान्तरभाण्डानामप्रवेशे हेतुः // 11 // कर वृद्धि और विक्रय योग्य वस्तुओं का अधिकारियों आदि के द्वारा बलात् ले लिये जानेसे देशान्तर से बिक्री की चीजें आना बंद हो जाता है / बेईमानी सदा नहीं सफल हो सकती. (काष्ठपात्र्यामेकदैव पदार्थो रध्यते // 12 // .. काठ को हांड़ी में एक ही बार भोजन पकाया जा सकता है। अर्थात् बेईमानी एक ही बार चल सकती है।) मापों की शुद्धता की आवश्यकता(तुलामानयोरव्यवस्था व्यवहारं दूषयति // 13 / / ) तराजू और बांट की गड़बड़ी से व्यापार बिगड़ता है। कृत्रिम मंहगाई के दुष्परिणामवणिग्जनकृतोऽर्घः स्थितानागन्तुकांश्च पीडयति / / 14 / / ) जब बनिये वस्तुओं का मूल्य अपने मन से बढ़ा देते हैं तो उस से वहां के रहने वालों को और बाहर से आने वालों को कष्ट होता हैं / .. वस्तुओं का मूल्य निश्चित करने में आवश्यक विचार (देशकालभाण्डापेक्षया वा सर्वार्धो भवेत // 15 // समय देश और विक्रय की वस्तुओं का विचार कर के वस्तुओं का मूल्य स्थिर करना चाहिए। - बाजार के विषयमें राजा को स्वयं सतर्क रहना चाहिए(पण्यतुलामानवृद्धौ राजा स्वयं जागृयात् // 16 // बाजार की चीजें नकली और मिलावट की न हों तराजू की तोल में घट बढ़ न हो और बटखरे कम ज्यादा नाप के न हों इन बातों की जांच पड़ताल राजा को स्वयं करते रहना चाहिए /