________________ नीतिवाक्यामृतम् भस्मनीव निस्तेजसि को नाम निःशङ्कः पदं न कुर्यात् // 40 // . बिना आग की भस्म पर कौन नहीं निडर होकर पैर रखेगा। पाप के लिये अपवाद(तत्पापमपि न पापं यत्र महान् धर्मानुबन्धः // 41 // वह पाप पाप नहीं है जिसके करने से महान् धर्म होता है। विशेषार्थ-किसी एक दुष्ट का वध कर देने से हजारों-लाखों की यदि सुरक्षा होती हो तो उसका वध पाप कर्म नहीं होगा।) अन्यथा पुनर्नरकाय राज्यम् // 42 // अन्यथा अर्थात् उपर्युक्त रीति-नीति से दुष्ट दमन न करने पर राजा का राज्य उसके लिये नरक के समान ही दुःखकारक हो जाता है / ___ अधिकार प्राप्ति से दोष बन्धनान्तो नियोगः // 53 // अधिकार बन्धन है। विशेषार्थ-मनुष्य को अधिकार मिलने पर अनेक प्रकार के कर्तव्यों के बन्धन में बंध जाना पड़ता है। ___दुष्टों की मित्रता का परिणाम विपदन्ता खलमैत्री // 44 // दुष्टों को मित्रता का अन्त विपत्ति में होता है। स्त्रियों पर विश्वास करने का फल मरणान्तः स्त्रीषु विश्वासः // 45 // ; स्त्रियों पर विश्वास करना अन्त में मृत्यु का कारण होता है। इत्यान्वीक्षिकी समुद्देशः। 7. त्रयीसमुद्देशः त्रयी का अर्थ। चत्वारो वेदाः, शिक्षा कल्पो व्याकरणं निरुक्तं छन्दोज्योतिषमिति षडङ्गानीतिहास-पुराण मीमांसा-न्याय-धर्मशास्त्रमिति चतुर्दश विद्यास्थानानि त्रयी // 1 // चार वेद, शिक्षा, कल्प, व्याकरण, निरुक्त छन्द, ज्योतिष, ये षडङ्ग और इतिहास-पुराण, मीमांसा, न्याय और धर्मशास्त्र इन चौदह विद्या स्थानों को त्रयो कहते हैं।