________________ बलसमुद्देशः 111 है इस प्रकार आठ अङ्गों से शत्र पर प्रहार करने के कारण हाथी अष्टायुध है। (हस्ति प्रधानो विजयो राज्ञां यदेकोऽपिहस्ती सहस्र योधयति न सीदति प्रहारसहस्रणापि // 3 // ) राजाओं की विजय में हाथी प्रधान कारण होता है यतः अकेला भी हाथी हजार योद्धाओं से लड़ता है और हजार प्रहार होने पर भी पीड़ित नहीं होता। (जातिः कुलं वनं प्रचारश्च न हस्तिनां प्रधानं किन्तु शरीरं बलं शौर्य शिक्षा च तदुचिता च सामग्रीसम्पत्तिः // 4 // हाथी के बल के सम्बन्ध में जाति, वंश, वन और प्रचार यह चार विशेषताएं होती हैं किन्तु इन सबमें प्रधानता न होकर उसके लिये शारीरिक बल शीय और शिक्षा तथा उसके योग्य सामग्री की प्राप्ति प्रधान है। ___ हाथी यदि शरीर से पुष्ट न हुआ तो वह युद्ध में क्या करेगा? यदि उस में स्वाभाविक साहस और शोर्य न हुआ तो भी वह वर्थ है इसी प्रकार बनला हाथी यदि रणभूमि के योग्य शिक्षित नहीं किवा गया तो वह महावत या स्वामी को ही भार मकता है / शिक्षा के अनुरूप सामग्री भी न एकत्र की जा सकी तो भी हाथी की कला व्यर्थ होगी। __ हाथी की मन्द, मृग, संकीर्ण और भद्र यह चार जातियां हैं। ऐरावत, पुण्डरीक, वामन, कुमुद, अंजन, पुष्पदन्त और सार्वभौम ये आठ कुल हैं। यही 8 दिग्गजों के भेद के रूप में अमरकोश में परिगणित हैं।) अशिक्षित हाथी का दोष(अशिक्षिता हस्तिनः केवलमर्थप्राणहराः॥५॥) अशिक्षित हाथी केवल धन और प्राण हरण करने वाले होते हैं। - हाथी के गुण(सुखेन ‘यानमात्मरक्षा परपुरावमर्दनम् , अरिव्यूहविधातो जलेषु सेतुबन्धोवचनादन्यत्र सर्वविनोदहेतवश्चेति हस्तिगुणाः // 6 // सुखपूर्वक चलना, आत्मरक्षा, शत्रु के नगर को रौंद देना, शत्रु की व्यूहरचना का विनाश कर देना, जल में पुल सा बांध देना, और कर्कश चिंघाड़ रूपी वचन के अतिरिक्त अनेक प्रकार से मनोविनोद करना ये हाथी के गुण हैं। . अश्वसेना की उपयोगिता.... (अश्वबलं सैन्यस्य जङ्गमः प्रकारः // 7 // ) अश्वबल सेना का जङ्गम भेद है। सेना में घोड़ों की सेना का चलता