________________ जनपदसमुद्देशः 105 के लिये उन्हें कटा लेता है तो उससे जनपद अर्थात् राज्य की बस्ती या सारी प्रजा उद्विग्न होकर देश छोड़ देती है / अतः राजा किसानों को लहलहाती खेती कभी न कटवावे / ) लिवनकाले सेनाप्रचारो दुर्भिक्षमावहति // 16 // __जब खेतों के कटने का समय आवे तब सेना को इतस्ततः खेतों में प्रचारंत करने से राज्य में अकाल पड़ता है। (सर्वबाधा प्रजानां कोशं पीडयति / / 17 / / ) प्रजा को यदि सब प्रकार से कष्ट ही मिलने लगता है तो उससे राजा के कोश को क्षति पहुंचतो है अर्थात् प्रजा कर नहीं देती और इस प्रकार राजा का कोष रिक्त होता है। (दत्तपरिहारमनुगृह्णीयात // 18 // __राजा जिनको कुछ कर आदि की छूट दे चुका हो उनके ऊपर उसे अपना अनुग्रह पूर्ववत् रखना चाहिए अर्थात् माफी देकर उसे छीने नहीं।) राजा के लिये मर्यादा पालन की आवश्यकतामर्यादातिक्रमेण फलवत्यपि भूमिर्भवत्यरण्यानी / / 16 // राज-मर्यादा का उल्लङ्घन करने से फूलता-फलता हुआ भी राज्य अरण्य तुल्य हो जाता है। .. प्रजा वर्ग की सन्तुष्टि का उपाय(क्षीणजनसम्भावनम् , तृणशलाकाया अपि स्वयमग्रहः, कदाचित् किंचिदुपजीवनमिति परमः प्रजानां वर्धनोपायः / / 20 // बाढ़, चोरी, डाका आदि से जो प्रजाजन क्षीण और धनहीन हो गये हो उनको रुपया--पंसा देकर सन्मानित करना प्रजा जितना कर प्रसन्नता से दे उसे ही लेना और स्वयम् अर्थात् जबर्दस्ती करके तृण-तुल्य भी तुच्छ कर आदि न लेना और कभी भी कुछ उपजीवन अर्थात् कर आदि में कुछ छूट या माफी देते रहना-ये प्रजा की वृद्धि के उत्कृष्ट उपाय हैं / इन बातों से प्रजा राजा से अत्यन्त सन्तुष्ट रहती है।) राज-कोष की वृद्धि आदि का विचार(न्यायेन रक्षिता पण्यपुटभेदिनी पिण्ठा राज्ञां कामधेनुः / / 21 / / न्यायपूर्वक सुरक्षित शुल्क स्थान राजाओं के लिये कामधेनु के समान फलदायक होता है। पण्य=बिक्री की चीजें, पुट-गठरी, बक्स आदि, भैदिनीखोलने की जगह, पिण्ठा = शुल्कस्थान, चुङ्गी घर, कस्टम हाउस / / राज्य में जो चीजें बाजारों में बिकने के लिये बाहर से आती हैं उनका