________________ - 1000 योजन भमिगत 250 योजन उत्तर में उसकी जीवा पूर्व-पश्चिम कुछ अधिक 53931deg/1' शब्दापानी वृनवैताट्या पर्वत योजन लम्बी है। दक्षिण में उसके धनपृष्ठ परिधि चौड़ाई 31 योजन 5729310/1" योजन है। वह रूचक सदृश आकार लिये हुए है, ऊँचाई 621 योजन सर्वथा रत्नमय है, स्वच्छ है। इसके दोनों ओर दो 1000 योजन पद्मवरवेदिकाएँ तथा दो वनखण्ड हैं। ___महाहिमवान् वर्षधर पर्वत के आठ कूट हैं, जैसे(1) सिद्धायतनकूट, (2) महाहिमवान्कूट, (3) हैमवतकूट, (4) रोहितकूट, (5) ह्रीकूट, (6) हरिकान्तकूट, (7) हरिवर्षकूट तथा (8) वडूयकूटा पुला (8) वैडूर्यकूट। चुल्लहिमवान् कूटों के समान ही इनका वर्णन है। ____ महापद्मद्रह-महाहिमवान् पर्वत के ठीक मध्यभाग में 'महापद्मद्रह' है। यहाँ पद्मद्रह की अपेक्षा पद्मों की संख्या - 1000 योजन - दुगुनी अर्थात् 2,41,00,240 है। विस्तार में भी यह पद्मद्रह की अपेक्षा दुगुना है। यह दो हजार योजन लम्बा, एक हजार चित्र क्र.43 योजन चौड़ा तथा दस योजन जमीन में गहरा है। इसके मध्य में स्थित पद्म दो योजन का है, उसकी रत्नमयकर्णिका पर एक पल्योपम की स्थिति वाली 'ही' नामक देवी निवास करती है। शेष वर्णन 'पद्मद्रह' वत् है। महापद्मद्रह से दो महानदियाँ प्रवाहित होती हैं-(1) रोहिता महानदी,(2) हरिकान्ता महानदी। रोहिता महानदी महापद्मद्रह के दक्षिणी तोरण से निकलती है। वह महाहिमवान् पर्वत पर दक्षिणाभिमुख होती हुई 1605 योजन 5 कलां बहती है। पर्वत शिखर से नीचे प्रपात तक उसका प्रवाह कुछ अधिक 200 योजन होता है। उस प्रपात का नाम रोहितप्रपात कुण्ड' है। वह 120 योजन लम्बा-चौड़ा दस योजन गहरा व परिधि कुछ कम 380 योजन है। उसका तलभाग हीरों का है, वह गोलाकार है और तट समतल है। कुण्ड के मध्य रोहित' नामक विशाल द्वीप है, जो 16 योजन लम्बा-चौड़ा, 50 योजन की परिधि में है। जल से दो कोस ऊँचा उठा हुआ संपूर्णत: हीरकमय है, वहाँ पल्योपम स्थिति वाली 'रोहित' नामक देवी का आवास स्थान है। रोहिता महानदी रोहितप्रपातकुण्ड के दक्षिणी तोरण से निकलकर हैमवत क्षेत्र की ओर आगे बढ़ती हुई शब्दापाती वृत्तवैताढ्यपर्वत जब आधा योजन दूर रह जाता है, तब वह पूर्व की ओर मुड़ती है और हैमवत क्षेत्र को दो भागों में बाँटती हुई आगे बढ़ती है। उसमें 28,000 नदियाँ मिलती है। वह उनसे आपूर्ण होकर नीचे जम्बूद्वीप की जगती को चीरती हुई पूर्वी लवणसमुद्र में मिल जाती है। रोहिता महानदी के उद्गम, संगम आदि सम्बन्धी सारा वर्णन रोहितांशा महानदी जैसा है। दूसरी 'हरिकान्ता' नामक महानदी 'महापद्मद्रह' के उत्तरी तोरण से निकलती है। उत्तराभिमुख होती हुई 1605 योजन 5 कलां पर्वत पर बहती है, फिर 2 योजन लम्बी 25 योजन चौड़ी और आधा योजन सचित्र जैन गणितानुयोग 61