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________________ ऊर्ध्वलोक मध्यलोक लोक का संस्थान-अनन्त असीम आकाश के बहुमध्य भाग में 1 राजू स्थित सान्त और ससीम इस लोक का वही आकार बनता है, जो - उल्टा धर्मास्तिकाय और अधर्मास्तिकाय का आकार है। दूसरे शब्दों में, जिस आकार से धर्म और अधर्म द्रव्य लोकाकाश में स्थित है, उसी आकार से 5 राज सकोरा लोक स्थित है। भगवती सूत्र (11/10) 1 राजू→ सीधा सिद्धशिला में लोक को 'सुप्रतिष्ठक सकोरा आकार' का कहा गया है। - उल्टा सुप्रतिष्ठक आकार का अर्थ सकोरा है- त्रिशरावसम्पुटाकार। एक शिकोरा (शराव) उल्टा, 7 राजू उस पर एक शिकोरा सीधा, फिर उस पर एक उल्टा रखने लाल त्रिशराव सम्पुटाकृति में लोक चित्र क्र.3 से जो आकार बनता है, उसे त्रिशरावसम्पुटाकार कहते हैं। इस प्रकार से बने आकार में नीचे चौड़ाई अधिक और मध्य में कम होती है। पुनः ऊपर चौड़ाई अधिक होती है और अन्त में पुनः कम हो जाती है। अन्यत्र समग्र लोक का आकार पुरूष-संस्थान भी बतलाया गया है। दोनों हाथ कमर पर रखकर जैसे कोई पुरूष वैशाख संस्थान की तरह पैर चौड़े 171 रखकर खड़ा हो, वैसा ही आकार लोक का है। (चित्र क्रमांक 3,4) पुरूषाकृति में लोक लोक का परिमाण-लोक के तीन परिमाण हैं-ऊँचाई, चित्र क्र.4 मोटाई और चौड़ाई। इसमें सम्पूर्ण लोक की ऊँचाई 14 राजू प्रमाण है। राजू का परिमाण निम्न प्रकार से कल्पित किया गया है-3,81,12,970 मन वजन वाला एक भार; ऐसा 1000 भार का गोला कोई ऊपर से नीचे फेंके, वह गोला 6 मास, 6 दिन, 6 पहर, तथा 6 घड़ी में जितने स्थान को लाँघ जाए उतने विशाल क्षेत्र को एक राजू कहते हैं अथवा निमेष मात्र (एक पलक झपकने) में एक लाख योजन पार कर जाने वाला देव छह मास तक उसी गति से चलता रहे तो वह एक राजू पार करता है, इस प्रकार से भी राजू का प्रमाण कल्पित किया गया है, ऐसे 14 राजू प्रमाण ऊँचा यह लोक है। लोक की मोटाई सर्वत्र 7 राजू है। परन्तु चौड़ाई विभिन्न स्थानों पर भिन्न-भिन्न है। यह लोक नीचे सात राजू चौड़ा है। फिर ऊपर अनुक्रम से चौड़ाई में एक-एक प्रदेश कम होता-होता सात राजू की ऊँचाई पर मध्यलोक में एक राजू चौड़ा रह गया है। पुनः मध्यलोक से एक-एक प्रदेश बढ़ते-बढ़ते ऊपर साढे तीन राजू की ऊँचाई पर पाँच राजू चौड़ा है, फिर आगे क्रम से घटता-घटता अंतिम लोक के अग्रभाग पर एक राजू चौड़ा है। अधोलोक 6 -4 सचित्र जैन गणितानुयोग
SR No.004290
Book TitleJain Ganitanuyog
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayshree Sadhvi
PublisherVijayshree Sadhvi
Publication Year2014
Total Pages208
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size38 MB
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