________________ लोक का घनफल-लोक को घनाकार समचतुरस्त्र करने के लिए अधोलोक जो कि नीचे 7 राजू चौड़ा, ऊपर एक राजू चौड़ा तथा 7 राजू ऊँचा व सर्वत्र 7 राजू मोटा है। उसे यदि कल्पना से दो समभागों में बाँटा जाय तो नीचे की ओर 37 राजू व ऊपर की ओर / राजू चौड़े तथा 7 राजू ऊँचे दो खंड प्राप्त होते हैं। इनमें पूर्ववर्ती भाग को यथावत् रखते हुए पश्चिम वाले भाग को उल्टा करके इसके साथ जोड़ दिया तो 7 राजू मोटा, 7 राजू ऊँचा व 4 राजू चौड़ा एक खंड बन जाता है। (चित्र क्रमांक 5) राजू राजू राजूर-37 राजू राजूर-3% राजू पश्चिमी पश्चिमी भाग भाग 7 राजू AANE पश्चिमी भाग पूर्वी भाग पूर्वी भाग भाग -7 राजू K-3/ राजूर -37 राजू दो समभाग अधोलोक > राजू K-37 राजू चित्र क्र.5 4 राजू अधोलोक अधोलोक इसी प्रकार ऊर्ध्वलोक जो कि 7 राजू ऊँचा, मध्य में 5 राजू चौड़ा तथा ऊपर व नीचे 1-1 राजू चौड़ा है उसके 37 राजू ऊँचे दो भाग करें। अब ऊपर वाले भाग को पूर्व से पश्चिम दो बराबर भाग करने पर नीचे 2/2 राजू व ऊपर / राजू चौड़े तथा 37 राजू ऊँचे दो खंड प्राप्त होते हैं। इसमें पूर्व दिशावर्ती भाग को यथावत् रखते हुए पश्चिम वाला भाग उल्टा करके उसके साथ जोड़ने पर 3% राजू ऊँचा, 3 राजू चौड़ा एवं 7 राजू मोटा खंड बनता है। इसी प्रकार की क्रिया नीचे वाले भाग के साथ दोहराने से उक्त माप का ही दूसरा खंड बनता है। दोनो खंडों को ऊपर-नीचे साथ में रखने पर 7 राजू की मोटाई वाला, 7 राजू ऊँचा व 3 राजू चौड़ा खंड प्राप्त होता है। (चित्र क्रमांक 6) राजू राजू 2%राज पश्चिमी पवा भाग 37 राजू पश्चिमी भाग भाग 2/- राजू 27 राजू 2%राज 2% राजू / % राजू 2%, राजू 27 राजू पूर्वी पश्चिमी भाग 3% राजू भाग भाग पश्चिमी भाग 2% राजू K 1राजू ऊर्ध्वलोक *राजू राजू ऊपर व नीचे दो समभाग ऊर्ध्वलोक %राजू 3 राजू ऊध्वंलोक चित्र क्र.6 सचित्र जैन गणितानुयोग